जब देश के सभी ताकते संघ परिवार और सांप्रदायिक ताकतों और कट्टरपंथी ताकतें अपने चरम पर थी, और साम्प्रदायिकता और कट्टरपन्थी के प्रमुख चेहरे अडवाणी और सिंघल व अन्य के सामने घुटने टेक दिए थे, तब लालू ने अकेले, अडवानी सिंघल राम रथ यात्रा रोक कर, देश की आत्मा-धर्मनिरपेक्षता की रक्षा किया।
बहुचर्चित ‘रथयात्रा’ की भी चर्चा जरूर होती है. यह किस्सा साल 1990 का है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ रहा था. इसी बीच लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक ‘रथयात्रा’ निकालने की घोषणा कर दी. इस राम रथ यात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली थी देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को. इसके पीछे दो वजहें थीं. एक तो नरेंद्र मोदी नेशनल मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत थे और दूसरा उनका प्रबंधन कौशल. यहां तक कि उन्होंने वीपी सिंह से लेकर यूपी सरकार तक को रथ यात्रा रोकने की चुनौती दे डाली थी.
रात करीब दो बजे लालू यादव ने पत्रकार बनकर सर्किट हाउस में फोन किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है. फोन आडवाणी के एक सहयोगी ने उठाया और बताया कि वो सो रहे हैं और सारे समर्थक जा चुके हैं. आडवाणी को गिरफ्तार करने का यह सबसे मुफीद मौका था और लालू यादव ने इसमें देरी नहीं की.
25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू हुई आडवाणी की रथयात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी, लेकिन 23 अक्टूबर को आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया. आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र की सियासत में भूचाल मच गया. BJP ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसमें लालू प्रसाद यादव भी साझीदार थे, और सरकार गिर गई
श्री लालू प्रसाद यादव कहते है, सच कहूँ तो किसी ने मुझे इस यात्रा को रोकने या आडवाणी को गिरफ्तार करने के लिए नही कहाँ था। प्रधानमंत्री ने कुछ नही कहा। मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने जो तब केंद्रीय गृह मंत्री थे, मुझे दिल्ली बुलाकर जानकारी ली कि क्या मैंने आडवाणी को रोकने की योजना बनाई है। जब मैंने इस बारे में साफ़ साफ़ कुछ नही कहा तो वह कहने लगे, आप इसे अपने ऊपर क्यों लेना चाहते है? राम रथ यात्रा को जारी रहने दीजिए।
वीपी सिंह ने अनेक हिन्दू धर्मगुरुओ की अपने यहाँ बैठक बुलाई और इन लोगो ने उन्हें यही कहा कि राम रथ यात्रा नही रोकी जानी चाहिए।
मैंने बेहद सख्त लहजे में उनसे कहा आप सबको सत्ता का नशा चढ़ गया है। हालांकि इसी समय प्रधानमन्त्री आवास पर व्यस्तताएं बढ़ गई थी। वीपी सिंह ने अनेक हिन्दू धर्मगुरुओ की अपने यहाँ बैठक बुलाई और इन लोगो ने उन्हें यही कहा कि यात्रा नही रोकी जानी चाहिए। समझौते से सम्बंधित कई फार्मूले भी सामने आए, लेकिन इनमें से किसी पर भी सहमति नही बनी।
उस बैठक में कोई समाधान नही निकला।इस तनाब भरे माहौल के बीच में बिहार शरीफ गया, जहा के लोगों ने मुझे एक हरी पगड़ी भेंट की। मैं उसे अपने घर ले आया और खुद से कहा कि यह पगड़ी उस भरोसे का प्रतीक है जो अल्पसंख्यक समुदाय मुझ पर रखता है। इस देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को मुझे हर हाल में बचाना ही होगा।
राम रथ यात्रा, उस पगड़ी को मैंने अपने बेडरूम में रखा और यह प्रतिज्ञा की कि राज्य में सांप्रदायिक भाईचारा बरकरार रखने की अपनी जिम्मेवारी से कभी पीछे नही हटूँगा।
उस पगड़ी को मैंने अपने बेडरूम में रखा और यह प्रतिज्ञा की कि राज्य में सांप्रदायिक भाईचारा बरकरार रखने की अपनी जिम्मेवारी से कभी पीछे नही हटूँगा। मेरे दिमाग में यह बात साफ़ थी कि आडवाणी की यात्रा अल्पसंख्यक समुदाय और सांप्रदायिक भाईचारे के लिए सीधा और वास्तविक खतरा थी।
सख्त कदम उठाने के बारे में सोच लेने के बाद मैंने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बेडरूम में ही एक बैठक की। प्रधान सचिव मुकुंद प्रसाद और दूसरे अधिकारी बैठक में मौजूद थे। मैंने उन सबसे कहा की यात्रा रोकनी होगी और आडवाणी और उनके साथ साथ संघ परिवार के दूसरे नेताओं जैसे विश्व् हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल (अब दिवंगत) को गिरफ्तार करना पड़ेगा।(गोपालगंज से रायसिना – मेरी राजनीतिक यात्रा – Lalu Prasad Yadav ) श्री लालू प्रसाद यादव की फेसबुक वॉल से