सिपाही राकेश सरोज, यह कहावत सच हो गयी, ” खाकी वर्दी के अंदर फ़रिश्ता “अजनबी को अपना खून देकर जान बचाया

वह टेक्स्ट जिसमें 'एहसास मेरा सोच मेरी' लिखा है की फ़ोटो हो सकती है

सिपाही राकेश सरोज का कार्य काबिले तारीफ आज कल जहा लोगो का भरोसा खाकी वर्दी पर से उठता वाही वर्दी के अन्दर कुछ फरिस्ते भी है, जो वर्दी का सम्मान बनाते है और वर्दी की चमक में काम नहीं होने देते है, जिनकी वजह से आज भी वर्दी का शान लोगो के नजर में बढ़ता जाता है, यह वाकया बनारस के चेतगंज थाने की है जहां पर तैनात सिपाही राकेश सरोज का कार्य काबिले तारीफ हैं।

सिपाही राकेश सरोज, यह कहावत सच हो गयी, ” खाकी वर्दी के अंदर फ़रिश्ता “अजनबी को अपना खून देकर जान बचाया, बनारस के चेतगंज थाने में ड्यूटी कर रहे सिपाही राकेश सरोज ने ड्यूटी के समय ही लगभग आधी रात को ब्लड बैंक के पास एक शख्स को रोते हुए देखकर वजह पूछी तो उस आदमी ने बताया कि बिहार से वो अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए बनारस आया है और इलाज के दौरान ही बच्चे को खून की आवश्यकता है इसलिए वो ब्लड बैंक पर खून लेने आया था।

सिपाही राकेश सरोज बच्चे की जान बचाई

मगर कुछ दिनों पहले उसने अपने आंखों का आपरेशन कराया था इसलिए बैंक वाले उसका खून नहीं लें रहे हैं और उसे ख़ून की सख्त जरूरत है सिपाही राकेश सरोज तत्काल ही मानवीय संवेदना दिखाते हुए बिहार से आए उस अनजान व्यक्ति के बच्चे की जान बचाने के लिए खुद का ख़ून देने का निर्णय लिया।

और उस बच्चे की जान बचाई चूंकि स्थानीय अखबारों में इस खबर को छठवें पन्ने पर छोटे मे छापा जाएगा या नहीं कौन जाने इसलिए हमने सोचा कि हम ही इस खबर पर अपने तरीके से आर्टिकल बना देते हैं।

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