भूख का सामना कर रही कई देशों की 78 करोड़ से अधिक आबादी, इधर दुनिया ने कर दी 19 फीसदी खाद्य की बर्बादी

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प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi

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 नैरोबी (केन्या):  दुनिया के अधिकांश देश भुखमरी का दंश झेल रहे हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर कुल खाद्य उत्पादन का 19 प्रतिशत अनाज बर्बाद कर दिया गया। यह कुल खाद्यान्न का लगभग 1.05 अरब टन है। इतना अनाज दुनिया ने मिलकर यूं ही बर्बाद कर दिया। अगर इस अनाज की बर्बादी नहीं होती तो करोड़ों लोगों को भूख से बचाया जा सकता था। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

बुधवार को प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की खाद्य बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट, वर्ष 2030 तक खाद्य बर्बादी को आधा करने के लिए देशों की प्रगति की निगरानी करती है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सूचकांक के लिए रिपोर्ट करने वाले देशों की संख्या वर्ष 2021 में पहली रिपोर्ट से लगभग दोगुनी हो गई है। वर्ष 2021 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर उत्पादित भोजन का 17 प्रतिशत, या 93.1 करोड़ टन बर्बाद हो गया। लेकिन कई देशों से पर्याप्त आंकड़ों की कमी के कारण लेखकों ने सीधी तुलना के प्रति चेतावनी दी।

दुनिया में हर एक व्यक्ति ने बर्बाद किया एक वर्ष में 79 किलोग्राम राशन 

रिपोर्ट यूएनईपी और वेस्ट एंड रिसोर्सेज एक्शन प्रोग्राम (डब्ल्यूआरएपी) एक अंतरराष्ट्रीय चैरिटी द्वारा सह-लिखित है। शोधकर्ताओं ने घरों, खाद्य सेवा और खुदरा विक्रेताओं पर देश के आंकड़ों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि प्रत्येक व्यक्ति सालाना लगभग 79 किलोग्राम (लगभग 174 पाउंड) भोजन बर्बाद करता है, जो दुनिया भर में प्रतिदिन बर्बाद होने वाले कम से कम एक अरब भोजन थाली के बराबर है। ऐसी अधिकांश बर्बादी – 60 प्रतिशत – घरों से आती है। इसमें लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा खाद्य सेवा या रेस्तरां का रहा, जबकि 12 प्रतिशत खुदरा विक्रेताओं का रहा।

78 करोड़ से अधिक आबादी कर रही भूख का सामना

दुनिया में इतने बड़े अनाज की बर्बादी तब है, जब करोड़ों लोग भूख का दंश झेल रहे हैं। यूएन की ओर से जारी रिपोर्ट के सह-लेखक क्लेमेंटाइन ओ’कॉनर ने कहा, ‘‘यह एक जटिल समस्या है, लेकिन सहयोग और प्रणालीगत कार्रवाई के माध्यम से, इससे निपटा जा सकता है।’’ यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दुनियाभर में 78.3 करोड़ लोग गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं और कई स्थानों पर खाद्य संकट गहरा रहा है। (एपी)

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