कहानी थोड़ी पुरानी है दो शरीफ #उल्लू एक पेड़ पर आकर बैठे थे, एक उल्लू ने अपने मुंह मे #सांप को पकड़ रक्खा था, तो वहीं दूसरे उल्लूजी ने अपने मुंह मे एक चूहे को दबोच कर रक्खा हुआ था। मतलब उल्लूओं के लंच की पूरी व्यवस्था थी,
दोनों उल्लू अपने शिकार को पकड़े हुए अगल बगल बैठे हुए थे ।। सांप ने चूहे को देखा तो भूल ही गया कि वह उल्लू के मुंह मे है और मौत उसके सर पर है चूहे को देख कर उसके मुंह से लार बहने लगी, ।।
अब चूहे ने सांप को देखा तो वह डर से कांपने लगा, जबकि सांप और चूहा दोनों मौत के मुंह मे हैं , ये देखकर दोनों उल्लू बड़े हैरान हुए। कि अबे यार हमसे ज्यादा उल्लू तो ये दोनों हैं।
पहला उल्लू दूसरे उल्लू से बोला बड़े भाई कुछ समझे क्या? तो दूसरे उल्लू ने कहा -उल्लू तो मैँ हूँ ही पर बिल्कुल ही उल्लू मत समझो मुझे , देखो मैं बताता हूँ बात क्या है।।
पहली बात ये है कि जीभ की इक्छा इतनी प्रबल है कि सामने मौत भी खड़ी हो तो दिखाई नहीं पड़ती, जैसे इस समय इस सांप को देखो।। दूसरी बात भय मौत से भी बड़ा भय है । मौत सामने खड़ी है उल्लू के मुंह मे है ये चूहा लेकिन मौत से भयभीत नहीं है बल्कि भय से भयभीत है कि कहीं सांप हमला न कर दे । जबकि इन दोनों को वास्तविक खतरा हमसे यानी उल्लुओं से है।
बात खत्म कर के दोनों उल्लुओं ने साथ मे लंच किया, कहानी खल्लास।
सबने अपने अपने भय पाल रखे हैं ये भय भी आपको दिए गए हैं वो भी जबरिन । किसी का धर्म खतरे में है , किसी की कौम खतरे में है उल्लू
हर किसी की यही कहानी है मौत से नहीं अपने भय से भयभीत है ,, सबने अपने अपने भय पाल रखे हैं ये भय भी आपको दिए गए हैं वो भी जबरिन । किसी का धर्म खतरे में है , किसी की कौम खतरे में है etc।
और इस तरह आजकल तो भय का व्यापार ही चल रहा है, भय को बांट बांट कर आपको खतरों के एहसास दिलाकर सरकारें बन जाती हैं, गिर जाती हैं।।
जबकि आपको सही खतरा उस से नहीं है जिस से आप भयभीत है सही खतरा उस से है जिसके बारे में आप सोचते भी नहीं , घट रही आमदनी और बढ़ रही महंगाई , बेरोजगारी, खुलेआम हो रहे अपराध, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में खुली लूट, पर्यावरण की बर्बादी, भुखमरी, गरीबी ये सब आप के लिए खतरा हैं ,
पर आप भी उस चूहे की तरह उल्लू के मुंह मे होकर उल्लू से न डरके साँप से डर रहे हैं।
कब तक डरोगे?