निजीकरण का विरोध करो, इसलिए नहीं कि हम ज़्यादा समझदार हैं और जो कहें वो मान लो। बल्कि इसलिए कि आप खुद देखों चारो ओर क्या चल रहा है। कोरोनॉ काल ने अच्छे बुरे का भेद स्पष्ट कर दिया है। जिन निजी कम्पनियों के पास अपने श्रमिकों को दो वक्त का खाना तक नहीं दिया गया उनसे कैसे आप आशा कर सकते हैं। निजीकरण की हवा सरकारी तंत्र की छवि को धूमिल कर बनाई गई थी। अब तो नंगी आंखों से देखा जा सकता है कि सरकारी कर्मचारी अभी भी इस काल मे न थका है न हारा है। अभी भी डटा हुआ है आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने के लिए।
पुष्प बरसाने से कुछ नहीं होता, निजीकरण रोकिए
इसलिए आप स्वयं सोचें कि आवश्यक सेवाओं में अस्पताल हैं, बिजिली है, संचार है, यातायात है, आवश्यक खाद्य सामग्री के चेन को बनाये रखना है, जल आपूर्ति है, शिक्षा है और भी कई अन्य सेवाएं हैं जो ज़रूरी हैं आम जनता तक पहुंचते रहना।इस वीडियो में एक बात गौर कीजियेगा कि एक अस्पाल ने एक मरीज के उपचार का कितना बिल बनाया और हमसे से किंतने है जो इस बिल को भर सकने में सक्षम हैं।
अतः मेरा निवेदन है कि सरकारी कर्मचारियों ने मोर्चा डट कर संभाला हुआ है उन्हें प्रोत्सहित कीजिये। ऊपर से पुष्प बरसाने से कुछ नहीं होता, निजीकरण रोकिए ये आपके लिए और सबके लिए ज़रूरी है। क्यों निजीकरण रुकने से भर्तियां भी बढ़ेगी और बेरोज़गारी भी घटेगी।