माईथोलॉजी के पात्र कैसे दिखते थे ?
रावण कैसा था ? राम कैसा था ? सीता कैसी थी ? हनुमानजी कैसे दिखते थे ? शिवजी कैसे दिखते और रहते थे ?
इन सारे पात्रों के बारे में रामचरितमानस का एक दोहा सबसे बेहतर व्याख्या करता है –
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ।
सदियों तक किसी कलाकार की हिम्मत नहीं हुई की देवी देवताओं को कोई चेहरा दे सके, वो देह से परे सिर्फ रूहानी शक्ति थी । रवि वर्मा ने जब अपने चित्र में अपनी कल्पना को साड़ी पहनाई तो वह फैशन में आ गई !
भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहेब फाल्के को जिन्होंने तराशा और पहली फिल्म के लिए पैसे भी दिए !
इसके अलावा देश में सबसे पहला प्रिंटिंग प्रेस भी राजा रवि वर्मा ने ही लगाया था !
वो रवि वर्मा जिन्हें अँग्रेजी सरकार ने सबसे बड़ा