महामानव नेल्सन मंडेला : जन्मदिन 18 जुलाई
(18.7.1918-5.12.2013)
अफ्रीका के अश्वेतों के अंबेडकर
नेल्सन मंडेला का जन्म बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेंजो गाँव में हुआ था। उनकी माँ नोसकेनी मेथोडिस्ट थी और पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला।
मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्क बेरी मिशनरी स्कूल से, स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से, स्नातक शिक्षा हेल्डटाउन से पूरी की। ‘हेल्डटाउन’ अश्वेतों के लिए बनाया गया विशेष कॉलेज था। इसी कॉलेज में मंडेला की मुलाकात ‘ऑलिवर टाम्बो’ से हुई, जो जीवन भर उनके दोस्त एवं सहयोगी रहे।
1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर ने कॉलेज कैंपस में अपने राजनैतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी। कॉलेज प्रशासन को जब इसकी खबर लगी तो दोनो को कॉलेज से निकाल दिया गया। 1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। 1944 में वे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था।
नेल्सन मंडेला 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया ।
इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिलकर अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया । 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया।
उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 नेल्सन मंडेला को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।
1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने।
अफ्रीका के लोग नेल्सन मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे। उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक” , “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था। नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया।
नेल्सन मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं : –
नेल्सन मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं : –
1.1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार
2.प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम
3.ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
4.भारत रत्न
5.निशान-ए–पाकिस्तान
6.23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार
नेल्सन मंडेला के अनमोल विचार
1.मुझे सफलताओं से मत आँकिए, बल्कि जितनी बार गिरकर उठा हूँ उस बल पर आँकिए।
2.स्वतंत्र होना, अपनी जंजीर को उतार देना मात्र नहीं है, बल्कि इस तरह जीवन जीना है कि औरों का सम्मान और स्वतंत्रता बढे.
3.क्या कभी किसी ने सोचा है कि वे जो चाहते थे वो उन्हें इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके पास प्रतिभा नहीं थी, या शक्ति नहीं थी, या धीरज नही था, या प्रतिबद्धता नहीं थी?
4.सभी के लिए काम, रोटी, पानी और नमक हो.
5.जब तक काम हो ना जाये वो असंभव लगता है.
6.खुद पीछे रहना और दूसरों को आगे कर नेतृत्व करना बेहतर होता है, खासतौर पर तब जब आप कुछ अच्छा होने पर जीत का जश्न मना रहे हों. आप तब आगे आइये जब खतरा हो. तब लोग आपके नेतृत्व की प्रशंशा करेंगे.
7.शिक्षा सबसे शशक्त हथियार है जिससे दुनिया को बदला जा सकता है.
8.मैं जातिवाद से घृणा करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है।
नेल्सन मंडेला ने कहा नहीं ऐसा नहीं है। वह उस जेल का जेलर था, जिसमें मुझे कैद रखा गया था। जब कभी मुझे यातनाएं दी जाती थीं और मैं कराहते हुए पानी मांगता था तो ये मेरे ऊपर पेशाब करता था।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद एक बार नेल्सन मांडेला अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ एक रेस्तरां में खाना खाने गए। सबने अपनी अपनी पसंद का खाना आर्डर किया और खाना आने का इंतजार करने लगे।
उसी समय मंडेला की सीट के सामने वाली सीट पर एक व्यक्ति भी अपने खाने का इंतजार कर रहा था। मंडेला ने अपने सुरक्षा कर्मी से कहा कि उसे भी अपनी टेबल पर बुला लो। खाना आने के बाद सभी खाने लगे, वो आदमी भी अपना खाना खाने लगा, पर उसके हाथ खाते हुए कांप रहे थे।
खाना खत्म कर वो आदमी सिर झुका कर रेस्तरां से बाहर निकल गया। उस आदमी के जाने के बाद मंडेला के सुरक्षा अधिकारी ने मंडेला से कहा कि वो व्यक्ति शायद बहुत बीमार था, खाते वख़्त उसके हाथ लगातार कांप रहे थे और वह ख़ुद भी कांप रहा था।
मंडेला ने कहा नहीं ऐसा नहीं है। वह उस जेल का जेलर था, जिसमें मुझे कैद रखा गया था। जब कभी मुझे यातनाएं दी जाती थीं और मैं कराहते हुए पानी मांगता था तो ये मेरे ऊपर पेशाब करता था।
मंडेला ने कहा मैं अब राष्ट्रपति बन गया हूँ, उसने समझा कि मैं भी उसके साथ शायद वैसा ही व्यवहार करूंगा। पर मेरा चरित्र ऐसा नहीं है। मुझे लगता है बदले की भावना से काम करना विनाश की ओर ले जाता है। वहीं धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता हमें विकास की ओर ले जाती है।