तस्वीरों में NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू जी हैं. मंदिर में झाड़ू लगाकर श्रमदान कर रही हैं. यह तस्वीर देखकर मैं आहत हूँ एक आदिवासी महिला जो राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार है मंदिर में झाड़ू लगा रही है. प्रणब मुखर्जी या अन्य ब्राह्मण नेताओं को कभी मंदिरों में झाड़ू लगाते नही देखा.
यह निर्णय द्रौपदी मुर्मू का नही हो सकता इसके पीछे RSS ब्राह्मण का गहरा एजेंडा है. द्रौपदी मुर्मू ने वही किया जो उन्हें कहा गया. रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के कई प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करने गए. एक मंदिर में तो उन्हें ब्राह्मण पुजारियों का अपमान भी झेलना पड़ा.
RSS आदिवासियों को हिन्दू फोल्ड में लेना चाहता है. 1980 से RSS ने अपने प्रचारकों को आदिवासी अंचलों में भेजना शुरू किया. RSS आदिवासियों की संस्कृति उनकी सभ्यता को मिटाकर हिन्दू बनाने में कामयाब होता दिख रहा है.
इस वक़्त आदिवासी अपने जल जंगल ज़मीन और सभ्यता के लिए ब्राह्मणवादी सरकार से लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं. दुख की बात है हम OBC SC भी आदिवासियों के साथ पूरी तरह नही खड़े हो पा रहे हैं.
आदिवासी समुदाय का संघर्ष, उनकी शिकायत पूरी तरह ब्राह्मण जाति के समाजसेवकों के हाथों में है वही उनके भाग्यविधाता बनकर नेतृत्व कर रहे हैं. इस कारण आदिवासी समुदाय से कोई बड़ा नेता या चेहरा उभर नही पाता.
द्रौपदी मुर्मू ने आज तक आदिवासियों के हक़ में दो शब्द बोले, आदिवासी समाज के हित में काम करना तो दूर की बात है.
मंदिर में झाड़ू लगाकर द्रौपदी मुर्मू ने रबर स्टैंप बनने की झांकी पेश की है ,और ब्राह्मण या दिखाना चाहता है राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री कोई भी इस देश में सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण ही होता है चाहे वह ब्राह्मण अनपढ़ ही क्यों ना हो…..