ऐसे में उपचार के इंतजार में भटकती दुनिया के सामने देशी जड़ी बूटियों का काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में आशा की किरण नजर आ रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने भी काढ़े से कोरोना के इलाज को मंजूरी दे दी, वहीं देश के अनेक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज अब काढ़ों का पैकेट बनाने की तैयारी में हैं, किंतु सरकारी एवं मेडिकल कॉलेजों का अमला अभी तक इस पर अमल नहीं कर पा रहा है।
कोराना प्रतिरोधक काढा सबसे बड़ी समस्या है देशी जड़ी बूटियों की गुणवत्ता।
कोराना प्रतिरोधक काढा सबसे बड़ी समस्या है देशी जड़ी बूटियों की गुणवत्ता। भारत में अनेक विद्वानों द्वारा अपने अपने अनुभव के आधार पर एक दर्जन से अधिक जड़ी-बूटियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु उपयोगी बताया जा रहा है। कोई एक तो कोई 4 तो कोई 5 या 10 जड़ी बूटियों के उपयोग की सलाह दे रहे हैं।
यह कड़वा सच है कि कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं है। ऐसे में हमें इस बात को समझना होगा कि सिर्फ और सिर्फ हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही कोराना का मुकाबला कर सकते हैं।