Bihar Politics: 'जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी इतिहास', सुशील कुमार मोदी इशारों-इशारों में ये किसे समझा गए?

[ad_1]

पटना: बिहार के बाहुबली आनंद मोहन (Anand Mohan) की रिहाई का मामला ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा है. जेल मैनुअल में संशोधन के बाद 27 कैदियों की रिहाई को लेकर लगातार नीतीश सरकार (Nitish Government) पर सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) हमलावर हैं. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने रविवार को बयान जारी कर आईएएस एसोसिएशन की राज्य इकाई पर सवाल उठाए.

राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ड्यूटी पर रहते एक दलित आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में दोषी पूर्व सांसद को जेल मैनुअल से छेड़छाड़ कर रिहा करने की निंदा सर्वत्र हो रही है. इस पर बिहार प्रशासनिक सेवा संघ और आईएएस एसोसिएशन की राज्य इकाई की चुप्पी आश्चर्यजनक है. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी की रिहाई पर अफसरों के संगठनों ने विरोध करना तो दूर, सरकार के डर से एक निंदा प्रस्ताव तक पारित नहीं किया. ऐसी तटस्थता, डर और चुप्पी को इतिहास क्षमा नहीं करेगा.

मुख्यमंत्री का तर्क बिल्कुल बचकाना: सुशील मोदी

इस मुद्दे पर सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्ति याद करते हुए कहा- “जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी इतिहास.” सुशील मोदी ने कहा कि जेल मैनुअल को शिथिल कर राजनीतिक मंशा से 27 दुर्दांत अपराधियों की रिहाई के लिए लोक सेवक और आम नागरिक में अंतर समाप्त करने का मुख्यमंत्री का तर्क बिल्कुल बचकाना है. सरकारी कर्मचारियों को यदि आम लोगों से अलग और अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने वाले नियम-कानून हैं, तो इसलिए कि वे निर्बाध ढंग से और निडर होकर अपने कर्तव्य का पालन कर सकें. क्या नीतीश कुमार जेल मैनुअल में संशोधन के बाद हर कानून में ऐसी समानता ला सकते हैं?

सुशील कुमार मोदी ने लगा दी सवालों की झड़ी

सुशील मोदी ने कहा कि आईपीसी की धारा-353 लोक सेवकों के सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर लागू होती है, लेकिन अन्य पर नहीं. क्या इस अंतर को भी समाप्त किया जाएगा? कहा कि यदि लोक सेवकों को विशेष सुरक्षा देने वाले कई कानून हैं, तो कुछ कानून उन पर विशेष प्रतिबंध भी लगाते हैं. लोक सेवकों को आम लोगों की तरह चुनाव लड़ने और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार नहीं है. क्या यहां भी आम और खास का अंतर खत्म किया जाएगा?

आगे और सवाल पूछते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि नीतीश कुमार यदि मॉडल जेल मैनुअल की बात करते हैं, तो इसे 2016 से अब तक लागू क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस साल मॉडल जेल मैन्युअल का प्रस्ताव दिया, बिहार सरकार ने उसी साल इसे यहां और कठोर बना दिया गया था.

यह भी पढ़ें- Bihar Politics: नीतीश की पार्टी ने LJP और BJP को दिया झटका, वशिष्ठ नारायण ने इन नेताओं को JDU में कराया शामिल

[ad_2]

Leave a Comment