अब गुजरात में लाला केजरीवाल ने हर्ष “सोलंकी” को ही क्यों चुना राजिस्थान, उत्तर प्रदेश में अभी सफाई कर्मचारियों के पद निकले थे, जिसमे बड़ी संख्या में “गुर्जर, मीणा, जाट, ब्राह्मण, सैनी,जाटव, यादव, कुर्मी, लोध से लेकर हर वर्ग के सफाया कर्मचारियो की भर्ती हुई, जो पहले मूल रूप से वर्ण व्यवस्था के कारण इस काम को जातीय आधार पर करते थे वो बाल्मीकि अन्य से काफी कम भर्ती हुए थे।
केजरीवाल ने हर्ष गुजरात में “बाल्मीकि” नाम इतना प्रचलित नही है जितना उत्तर भारत में प्रचलित है
अब गुजरात में लाला केजरीवाल ने हर्ष “सोलंकी” को ही क्यों चुना, वो “गुर्जर, जाट, मीणा” सफाई कर्मचारी को भी खाने पर घर आमन्त्रित कर सकता था जबकि में अहमदाबाद में रहा हूँ वँहा अनुसूचित जाति में आने वाले “सोलंकी” आपको व्यापारी मिलेंगे,बड़े अधिकारी मिलेंगे और एक सम्पन्न जिंदगी जीते मिलेंगे क्योंकि सफाई कर्मचारी का कार्य अब धीरे धीरे सभी वर्गो में ट्रांसफर हो चुका है,
इसके अलावा गुजरात में “बाल्मीकि” नाम इतना प्रचलित नही है जितना उत्तर भारत में प्रचलित है, बल्कि उपजाती के सरनेम मिलेंगे। में जितने साल गुजरात में था वँहा सोलंकी मतलब अपना अनुसूचित वर्ग का समझकर एक दूसरे से मिलकर रहा और मुझे 3 साल अहमदाबाद में रहने के बाद वापस उत्तर प्रदेश में आकर पता लगा की गुजरात में सोलंकी सरनेम कौन लगाते है क्योंकि जरूरत ही