तरबूज की खेती से इसबार लागत भी नहीं निकली:पछुआ हवा से सूख रही फसल, पीलापन आने से नहीं मिल रहे खरीदार

गोपालगंज34 मिनट पहले

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जिले के दियारा इलाके में तरबूज की खेती से इस बार किसानों को फायदा नहीं बल्कि नुकसान हो रहा है। पछुआ हवा ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया है। जिससे दियारा इलाके के कई एकड़ में तरबूज की खेती बर्बाद हो गई। तरबूज का पूर्ण विकास नहीं होने और पीलापन आने के कारण खरीदार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इन तरबूजों को किसान खेतो में ही छोड़ देते हैं।

सात एकड़ में तरबूज की खेती

सदर प्रखंड के सीहोरवा गांव स्थित दियारा इलाके में गंडक नदी के किनारे 7 एकड़ में तरबूज की खेती करने वाले किसान गुलजार ने पछुआ हवा से खेतों में बर्बाद तरबूज की फसल को दिखाते हुए कहते हैं कि इस साल पूरी फसल बर्बाद हो गई है। पछुआ हवा के कारण फसल सुख गई है। अब चिंता सता रही है की अब कर्जदारों को पैसा कैसे चुकाएंगे। घर जाने के लिए पैसे भी नहीं है। ये कहानी केवल गुलजार की ही नहीं बल्कि गुलजार जैसे कई ऐसे किसान हैं जिसपर पछुआ हवा का प्रभाव।

सात लाख रुपए की लागत

उतर प्रदेश के बागपत जिले के निवासी गुलजार ने 7 लाख की लागत से 7 एकड़ में तरबूज की खेती की। इनके अलावा सगे संबंधित और पूरा परिवार तरबूज की खेती से जुड़े हुए हैं, लेकिन इस साल मौसम की मार ने इनके सपनों पर पानी फेर दिया है। पिछले साल की खेती काफी अच्छी हुई थी जिससे गुलजार ने 50 से 60 हजार रुपए मुनाफा कमाया था, लेकिन इस बार पूंजी भी नहीं निकल पाई है। पछुआ हवा के कारण तरबूज की मिठास फिका पड़ने के कारण किसानों में मायूसी है। पिछले कुछ सालो से कोरोना ,बाढ़ और अब पछुआ हवा ने किसानों की हालत को सूखा दिया है।

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Mahender Kumar
Author: Mahender Kumar

Journalist

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