जल जीवन मिशन घोटाला: रात के अंधेरे में जमीन में बिछाए जा रहे कबाड़ के पाइप

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हाइलाइट्स

जल जीवन मिशन में घोटाला
जल जीवन मिशन में कबाड़ का पाइप
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का सनसनीखेज खुलासा

जयपुर. देश की सबसे बड़ी पेयजल योजना ‘जल जीवन मिशन’ में कबाड़ियों से खरीदी गई पाइप लाइन बिछाने के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जलदाय विभाग के ठेकेदार और इंजीनियर्स की मिलीभगत से कबाड़ से खरीदे गए पाइपों को धड़ल्ले से जमीन में बिछाया जा रहा है. हैरानी की बात ये है कि ठेकेदारों के कबाड़ के पाइपों के बिछाने के काले कारनामे को अमली जामा पहनाते हुए जिम्मेदार इंजीनियर ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर उनको पूरा भुगतान भी कर रहे हैं. 900 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से की गई जांच में बेहद चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं.

एसीबी के मुताबिक राजस्थान में जल जीवन मिशन योजना में भ्रष्टाचार की हदें पार हो गई हैं. सरकार की नाक के नीचे जलदाय विभाग के इंजीनियर और ठेकेदार खुलेआम घोटालों को अंजाम दे रहे हैं. जल जीवन मिशन योजना में 900 करोड़ के प्रोजेक्ट पर कार्य करने वाली जीजा-साले की कंपनियां मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवैल कंपनी और मैसर्स गणपति ट्यूबवैल कंपनी ने घोटालों की नई इबादत रच दी है. इन कंपनियों की ओर से जनता को पानी पिलाने के नाम पर फर्जी दस्तावेजों से 900 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए गए.

सबसे फर्जीवाड़े को अंजाम दे दिया गया
फर्जी दस्तावेजों से टेंडर हासिल करने के बाद देश की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना में देश के सबसे फर्जीवाड़े को अंजाम दे दिया गया. इन कंपनियों के मालिक पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने जल जीवन मिशन योजना में जयपुर जिले के शाहपुरा, विराट नगर, कोटपुतली, बहरोड़, अलवर और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ साथ गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे नागौर व बाड़मेर जैसे जिलों में कबाड़ के पाइपों का जाल बिछा दिया है.

कबाड़ का ब्रांडेड कंपनी के नए पाइप के रूप में पूरा भुगतान कर रहे हैं
इन कंपनियों की ओर से पुरानी पेयजल योजनाओं में कबाड़ हो चुकी पाइप लाइनों को कबाड़ के भाव खरीदा जा रहा है. इन कबाड़ के पाइप लाइन पर डेंटिंग पेंटिंग करके रात के अंधेरे में जमीन में बिछा दिया जाता है. इन पाइपों के फर्जी बिल जलदाय विभाग के इंजीनियरों को पेश किए जा रहे हैं. मोटा कमीशन मिलने के कारण जलदाय विभाग के इंजीनियर बिना किसी जांच पड़ताल के ठेकेदार के कार्यालय में पहुंचकर कबाड़ के पाइपों का ब्रांडेड कंपनी के नए पाइप के रूप में पूरा भुगतान कर रहे हैं.

एक साथ चालीस ट्रक पाइपों की खरीद दूसरे राज्यों से की है
जल जीवन मिशन योजना के प्रोजेक्ट में घटिया काम पर मोटी घूस लेने के बाद एसीबी ने जलदाय विभाग के इंजीनियर और ठेकेदारों को गिरफ्तार किया है. एसीबी की जांच में इस बात की पुष्टि भी हुई है की देश की सबसे बड़ी योजना में कबाड़ के पाइपों को खरीदा जा रहा है. इंजीनियर और ठेकेदारों के खिलाफ एसीबी द्वारा मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग में खुलासा हुआ है कि इंजीनियरों की शह पर ठेकेदारों ने एक साथ चालीस ट्रक पाइपों की खरीद दूसरे राज्यों से की है.

ठेकेदारों के गोदाम कबाड़ के पाइपों से अटे पड़े हैं
कबाड़ के इन पाइपों को ठेकेदारों द्वारा अपने अलग अलग गोदामों में जमा किया जाता है. ठेकेदारों के इन गोदामों में टाटा, जिंदल और रश्मि सहित देश की जानी मानी ब्रांडेड कंपनियों के पुराने और कबाड़ हो चुके पाइपों का अंबार लगा हुआ है. इन पाइपों पर डेंटिंग-पेंटिंग के लिए गोदामों में रंगों के ड्रम भरे हुए हैं. राजधानी से साठ किलोमीटर दूर शाहपुरा से ही कबाड़ के पाइपों के गोदामों का सिलसिला शुरू हो जाता है. विराट नगर, बहरोड़, कोटपुतली और अलवर जैसे सभी प्रमुख शहरों में ठेकेदारों के गोदाम कबाड़ के पाइपों से अटे पड़े हैं.

सामग्री का इस्तेमाल करने से पहले उनकी टेस्ट रिपोर्ट लेना अनिवार्य है
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन योजना में प्रोजेक्ट की गुणवत्ता के लिए सख्त गाइड लाइन जारी कर रखी है. नियमानुसार जल जीवन मिशन योजना में खरीदी गई सभी सामग्री का इस्तेमाल करने से पहले उनकी टेस्ट रिपोर्ट लेना अनिवार्य है. पाइप लाइन की टेस्ट रिपोर्ट पास होने पर ही उसे बिछाने की अनुमति दी जाती है. लेकिन कबाड़ के इन पाइप की क्वालिटी रिपोर्ट इंजीनियर ने ठेकेदार के दफ्तर में बैठकर बनाई. बिना क्वालिटी अप्रूवल के ही जिम्मेदार इंजीनियरों ने ठेकेदारों को ब्रांडेड कंपनी के पाइपों के नाम पर उनका भुगतान कर दिया.

Tags: Corruption case, Jaipur news, Jal Jeevan Mission scam, Rajasthan news

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