जर्नल भैरवी के नाम पर कई राज्यों में ठगी, प्रधान संपादक से जानें पूरा मामला

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अभिनव कुमार/दरभंगा:- यूजीसी की केयर लिस्ट में शामिल ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय से प्रकाशित की जाने वाली प्रतिष्ठित म्यूजिक जर्नल भैरवी बाजारों में डुप्लीकेट आ गई है. इस ठगी का शिकार मेरठ, राजस्थान, कोलकाता जैसे शहरों में रहने वाले प्रोफेसर और शोधार्थी हो रहे हैं. दरअसल UGC के केयर लिस्ट में शामिल जर्नल भैरवी में शोध प्रकाशन के बाद प्रमोशन होने की विधि है. यूजीसी के केयर लिस्ट में शामिल किसी भी मैगजीन में जब तक आपका दो लेख प्रकाशित नहीं होता, तब तक आपके प्रमोशन पर बाधा बनी रहती है. यही वजह है कि प्रोफेसर से लेकर शोधार्थी तक एजुकेशनल स्कैम के शिकार हो रहे हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के लोग शामिल हैं.

जर्नल भैरवी की प्रधान संपादक से जानिए पूरा मामला
LNMU की संगीत एवं नाट्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.पुष्पम नारायण ने बताया कि इस विभाग द्वारा साल 2009 से भैरवी नामक संगीत शोध पत्रिका निकलती है. पुष्पम नारायण खुद इस भैरवी पत्रिका की प्रधान संपादक हैं. उन्होंने कहा कि साल 2009 से छप रही भैरवी 2018 में यूजीसी की अप्रूव्ड लिस्ट में आई. जिसके बाद 1 अक्टूबर 2021 को यह सूचना मिलती है कि भैरवी को यूजीसी केयर लिस्ट ग्रुप वन में शामिल किया गया है.

वहीं जुलाई में किसी व्यक्ति ने फोन करके पुष्पम नारायण को यह जानकारी दी कि आपकी भैरवी डिस कंटीन्यू हो गई है. उसके दो या तीन घंटे बाद फिर केरल से फोन आता है, जो  एक स्कॉलर थे. उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे पता है आप भैरवी की प्रधान संपादक हैं. लेकिन मुझे यह स्पष्ट करें कि यह लेख आपका है या नहीं? उन्होंने मुझे व्हाट्सएप किया, तो मैं देख कर दंग रह गई. उन्हें मैंने तुरंत रिप्लाई किया कि यह मेरी मैगजीन की नहीं है. इसके बाद उन्होंने मुझे पूरा डिटेल्स भेजा.

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मामला पहुंचा कोर्ट
पुष्पम नारायण ने बताया कि एक और स्कॉलर ने मुझे कॉल किया कि आप मुझे एक मेल करें, क्योंकि मेरे साथ काफी पैसे की ठगी हुई है. भैरवी के नाम पर अब मुझे पता चला कि मेरे साथ ये फर्जी काम हुआ है. मेल का जवाब देंगे, तो मुझे प्राथमिकी दर्ज करने में आसानी होगी. इसके बाद मैंने उन्हें मेल का जवाब दिया और फिर उनके द्वारा FIR भी किया गया. जिसके बाद ठगी करने वाले को थाने पर बुलाया गया और उसकी गिरफ्तारी हुई, लेकिन फिर बाद में जाकर मामला पैचअप कर लिया गया और जिन स्कॉलर के साथ ठगी किया गया था, उनके पैसे लौटा दिए गए.

विभागाध्यक्ष ने आगे कहा कि लेकिन यहां तो भैरवी हमारी प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है. इन तमाम बातों को लेकर मैं स्थानीय थाना और दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक के पास गई. जब मैंने अपनी बातों को रखा, तो वहां से कुछ भी पॉजिटिव प्रतिक्रिया नहीं मिली. जिसके बाद मैं लीगल तौर पर कोर्ट में चली गई.

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