खुले आसमान के नीचे लगती है दीदी की पाठशाला:भागलपुर में रोज आते हैं स्लम के गरीब बच्चे, मुफ्त में होती है पढ़ाई

[ad_1]

भागलपुर14 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
भागलपुर में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रही है अनायशा - Dainik Bhaskar

भागलपुर में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रही है अनायशा

भागलपुर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जहां ग्रेजुएट दीदी अनायसा विहारी की पाठशाला रोजाना शाम के 4 बजे 7 बजे तक विश्वविद्यालय के समीप भूतनाथ मंदिर परिसर में लगती है। खुले आसमान के नीचे स्ट्रीट लाइट के नीचे स्लम से आए दर्जनों बच्चें प्रतिदिन ग्रेजुएट दीदी से पढ़ने आते हैं। दरअसल कुछ माह पहले अनायसा विहारी भूतनाथ मंदिर में पूजा करने के लिए आयी थी। पूजा कर जब मंदिर से बाहर निकली तो मंदिर के बाहर प्रसाद लेने के लिए बच्चों की भीड़ जुट गई। और बच्चे उस वक्त ही अपनी टीचर दीदी काफ़ी नजदीक हो गए।

टीचर को जब पता चला कि यह सारे बच्चे स्लम बस्ती के हैं, सभी बच्चों के घर की आर्थिक स्थिति दयनीय है। और इनके माता पिता बच्चों को पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं जिस कारण बच्चे स्कूल पढ़ने नहीं जा पाते। फिर क्या था अनायसा विहारी ने स्लम बस्ती के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का फैसला किया। प्रतिदिन बच्चों की क्लास लेने में लग गई। बच्चों के ग्रेजुएट दीदी अब उन्हें पढ़ा लिखा कर काबिल बनाना चाहती है । गौरतलब हो की ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कर चूक अनायशा विहारी मूल रूप से बांका जिले के ककबारा गांव की रहने वाली है।

डॉक्टर और पुलिस अधिकारी बनने का है सपना

विगत वर्षों से भागलपुर में किराए पर रहकर पढ़ाई कर रही है। अनायशा वर्तमान में यूपीएससी की तैयारी कर रही है और वह सिविल सेवा में जाकर आम जनमानस की मदद करना चाहती है। पिता उमेश प्रसाद सिंह व्यपारी हैं। वही तकरीबन एक महीने से स्लम बसती के बच्चों को शिक्षित करने में जुटी हैं। आपको बता दें ग्रेजुएट दीदी अपने बच्चों के पढ़ाई के प्रति इतनी सजग हैं कि बच्चों को स्लेट चौक पेंसिल वगैरह खुद ही मुहैया कराती है। निशुल्क शिक्षा से बच्चे ही नहीं स्लम इलाकों के बड़ी लड़कियां जो कि आज तक स्कूल नहीं गई थी वह भी दीदी की पाठशाला में पढ़ने के लिए आने लगी है। दीदी की पढ़ाई के नुस्खे से बच्चे काफी ज्यादा उत्साहित होते हैं जो बच्चे बच्चियां कभी स्कूल का चेहरा तक ना देखी हो अपनी दीदी के दिए गए ज्ञान से अब डॉक्टर और पुलिस अफसर बनना चाहते हैं।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Leave a Comment