कोर्ट का फैसला:ससुराल से निकाली गई महिला को शादी साबित करने में लगे 11 साल, पति ने की थी विवाह शून्य करने की मांग

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बेतिया14 मिनट पहलेलेखक: कृष्णकांत मिश्र

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आरोपी युवक, जिसने पत्नी को छोड़ दिया था। - Dainik Bhaskar

आरोपी युवक, जिसने पत्नी को छोड़ दिया था।

शादी के डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी अपने पति के नाम की सिंदूर लगाए उसको पाने की आस में बैठी माला को अंतत: न्याय मिल ही गया। हालांकि यह न्याय उसे 11 साल के अथक प्रयास के बाद मिला है। सोमवार को परिवार न्यायालय के आए फैसले में माला के पति सुजीत द्वारा दायर शादी शून्य करने के वाद 85/2012 को प्रधान न्यायाधीश ने खारिज कर दिया। इस जीत से माला को उम्मीद है कि 15 साल पहले जो हादसा उसके साथ हुआ था, वह अब नहीं होगा और उसे उसके पति का साथ मिलेगा।

बताते चलें कि रामनगर थाना के बड़गो की रहने वाली माला कुमारी की शादी 25 जून 2007 को नरकटियागंज थाना के हरपुर बड़निहार निवासी बृजकिशोर मिश्र के शिक्षक पुत्र सुजीत कुमार मिश्र के साथ हुई थी। माला के परिजनों ने उपहार दिए थे। शादी के कुछ दिन बाद तक सब कुछ ठीक चला। लेकिन उसके बाद सुजीत के परिजनों ने माला को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। एक साल बाद वह घर से निकाल दी गई। व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता सत्येंद्र शरण ने बताया कि जब दहेज प्रताड़ना एवं मेंटेनेंस केस होता है तो लड़का पक्ष परिवार न्यायालय में मेट्रो मोनियल यानि विदागरी वाद दायर करता है। शादी शुन्य करने को डिनाई वाद कहते है।

पीड़िता पक्ष के बाद आरोपी पक्ष ने दायर किया था वाद

माला को ससुराल से निकाले जाने के बाद उसके मायके वालों ने आरोपी पक्ष को बहुत समझाया, पंचायती भी हुई लेकिन वे लोग नहीं माने तो 2008 में शिकारपुर थाना में दहेज के लिए मारपीटकर घर से निकालने व बच्चा नुकसान करने की एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें सभी आरोपी जेल भी गए, फिर बेल लेकर स्थानीय न्यायालय से मामले में जीत हासिल कर ली। जिसके बाद मायके वालों ने हाईकोर्ट में अपील किया।

फिर 2009 में मायके वालों ने एक मेंटेनेंस केस किया। इसमें न्यायालय ने छह हजार प्रतिमाह आरोपी को देने का आदेश दिया। इसके बाद आरोपी पक्ष ने परिवार न्यायालय में मैरेज डिनाईवाद/ शादी शून्य करने का एक वाद 85/2012 दायर किया। इसी मामले की सुनवाई पूरी करते हुए परिवार न्यायालय के न्यायाधीश ने मामले को खारिज कर दिया है।

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