*ओछी मानसिकता से सामाजिक बिखराव और देश कमजोर होता है_एक कहानी* *कौन जात हो भाई ?*

☝️ *ओछी मानसिकता से सामाजिक बिखराव और देश कमजोर होता है_एक कहानी*
*कौन जात हो भाई ?*👇👇
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खेत में काम करने वाले आदमी से एक तिलक लगाएं और रूद्राक्ष की माला पहने एक व्यक्ति ने जात क्या पूछली……
…….. *कुत्ते भौंकने लगें*
……… कौवे चिखने लगे
……… *लोमड़ी मुस्कराने लगी*
………बंदर नाचने लगे।
ये सब देखकर जाति पूछने वाले व्यक्ति ने चिंताजनक स्थिति में सवाल किया….. कि *तुम सब जानवर ऐसा कृत्य क्यूं कर रहे हो ?*
सारे पशु – पक्षी एक साथ बोल उठे ……
*हम तो आप दोनों को मनुष्य ही समझ रहें थे, ….आपकी भी भी जात होती है आज मालूम हुआ।* इससे पहले कि वो उजले कपड़े पहने हुआ व्यक्ति कुछ कह -सुन पाता…….
*कुत्ता बोला* ….. “तुम कितने पापी और पाखंडी हो?”
…..”जात पूछकर बात करते हो, तुमसे अच्छे तो हम हैं एक दूसरे की जाति जानने के बाद भी एक साथ रह लेते हैं।”
*कौआ गुस्से से बोला*….. “मैं कितनी ही जाति के जानवरों की पीढ पर जा बैठता हूं और वो मेरी जाति जानकर भी मेरा विरोध नहीं करते….. डूब मरो ।”
*गुस्से से लाल मुंह करके अब बंदर कहने लगा*…..”हम सभी अलग-अलग जातियों के पशु -पक्षी एक साथ एक ही तालाब में पानी पीते और स्नान करते हैं…. खेलते हैं ।अच्छा है ईश्वर ने हमें मनुष्य नहीं बनाया ।”
“आज तुम्हें देखकर शर्म आ रही है।”
…….ये सब सुनकर जाति पूछने वाला व्यक्ति नजरें गड़ाए आगे के लिए कदम बढ़ा ही रहा था कि *लोमड़ी ने रोकते हुए कहा*……..
“जिस आदमी के बने कुआं और तालाबों से पानी पीते हो उससे जाति पूछने में शर्म नहीं आती?”
*”जिस आदमी के हाथों उगाएं अन्न से पेट भरते हो उससे जाति पूछने में जरा सी भी लज्जा नहीं आती तुम्हें?*”
“जिस आदमी के द्वारा निर्मित मकानों में रहते हो, उनसे जात पूछने पर तुम डूब कर मर क्यूं नहीं जाते?”
*”जिस आदमी के निर्माण से तुम्हारी आस्था के मंदिर चमक रहें हैं, उससे जाति पूछने पर तुम्हें मौत क्यूं नहीं आ आती?”*
“जिस आदमी ने तुम्हारे नंगें बदन के लिए कपड़ा और कंकर ,पत्थर और शूलो की चुभन से बचाने के लिए जूते बनाएं उनसे जाति पूछने जैसी बेशर्मी लाते कहां से हो?”
*”जिस आदमी ने तुम्हारे भोजन और स्वास्थ्य के लिए फल, सब्जियां, औषधियां के साथ – साथ तुम्हारे सम्मान के लिए भिन्न -भिन्न तरह के फूल उगाएं उससे जाति पूछने वाले तुम होते कौन हो….?”*
लोमड़ी का गुस्सा तेज होता जा रहा था, उसने अपने आप को संभालते हुए पूछा
…… *”क्या तुम्हारा भी कोई योगदान है इस धरती के लिए ?”*
“इस प्रकृति के लिए जो तुमने बिना स्वार्थ किया हो ??”
…….. वो तिलकधारी व्यक्ति जाने ही वाला था कि…… *अचानक गिरगिट आ धमका और कहने लगा*…….. “मैं तो अपने भोजन और बचाव के लिए रंग बदलता हूं , तुम किस लिए रंग बदलते हो??”
…….. *”हमें तो शर्म आ रही है आज आदमी की जात को देखकर जो अपने अंदर भी जाति लेकर घूमता रहता है। अपने ही साए से उसका पता पूछता है।”*
……..”थू है तुम्हारी मानसिकता पर।”
जैसे ही वो तिलकधारी पुरूष ऊपर की और देखने लगा…… *कौआ ने उसके मुंह पर बीट कर दी।*
ये देख सभी पशु -पक्षी जोर से हंसने लगें। मगर इतना सब कुछ होने के बाद भी उस आदमी ने दूसरे आदमी से जात पूछनी नहीं छोड़ी।
…….. तालाब पर अपने गंदे चेहरे को धोने से पहले तालाब के रखवाली से पूछने लगा……” *कौन जात हो भाई????”*
============. *☝️सामाजिक भाईचारे और विभिन्नता में एकता से ही मजबूत देश और वसुधैव कुटुंबकम् का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।*
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