Swastika स्वास्तिक 2007 में जर्मनी ने स्वास्तिक चिन्ह को मनहूस और शैतानी और खूनी श्रापित मानकर पूरे यूरोप में बैन करने की कोशिश किया जिसका कई धर्मों के लोगों को मान्यता है जिस कारण खास तौर पर हिंदुओं ने पूरी दुनिया से इसका काफी विरोध किया जिस स्वास्तिक को हिंदू पूजते हैं उसके कारण लाखों लोग मारे जा चुके हैं खास तौर पर हास्य स्वास्तिक एक विचार की मान्यता था
इसको 19वीं सदी में एक जर्मन शोधकर्ता प्राचीन भारत के शास्त्रों का अध्ययन कर रहा था उसी दौरान उसको संस्कृत भाषा और जर्मनी के भाषा में अनेक समानताएं देखने को मिली शोधकर्ताओं का एक विशेष दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जर्मनी और भारत देश जरूर एक ही इतिहास रखते हैं और एक ही पिताजी दोनों संताने हैं
अर्थात आर्यन संताने जर्मन आर्य विद्वानों ने अपने संबंध को भारतीय आर्य उसे बरकरार रखने के लिए अपने पूर्व धार्मिक मान्यता वाला स्वास्तिक चिन्ह से साबित किया जन्म जर्मन और भारतीय आर्य दोनों एक ही पिता की संतान है और वह दुनिया में किसी कारण बस तितर-बितर हो गए हैं कुछ दस्तावेज हमें बताते हैं कि आर्य लोगों ने स्वास्तिक चिन्ह का जन्म दिया जो आर्यों की पहचान है
जर्मनों के आक्रमण के दौरान बच गए एक व्यक्ति ने कहा- हमें हमेशा याद रहेगा कि स्वास्तिक ने हमारी जिंदगी पर क्या कहर ढाया- ये शैतानी ताकत का चिह्न है
खास तौर पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव अर्थात स्वास्थ्य तथा प्रभाव जर्मन में देखने को मिलता है और उस समय में तानाशाही चलती थी जर्मनी की आक्रमण के दौरान बच गए एक व्यक्ति ने कहां था कि हमें हमेशा याद रहेगा कभी नहीं भूलेंगे की स्वास्तिक ने हमारे जीवन पर परिवार पर बाल बच्चों पर क्या कहर ढाया है यह एक शैतानी ताकत का चिन्ह है
जो अकरम ताऊ आता ताई हो क्रूर लोगों में काम करता है आता था क्योंकि यादों को मिटाने के लिए हम जर्मनी के लोगों ने काफी कोशिश की वहां स्वास्तिक के इस्तेमाल पर पूरा रीति से रोक लग गया यहां तक की साल 2007 में जर्मनी देश में संपूर्ण यूरोप में इस स्वास्तिक प्रतीक पर बैन लगाने की कोशिश की जिसका खास तौर पर पूरी दुनिया से खास तौर पर यूरोप से काफी हिंदुओं ने विरोध किया
Swastika स्वास्तिक जो यह प्राचीन समय से आर्य हिटलर क्रूर सोच वाले तानाशाह का सिम्बल प्रतीक था,जिसको हिटलर ने कानूनी मान्यता दे दी
हिटलर स्वास्तिक से इतना ज्यादा प्रभावित था क्यों उसने इसको एक राजनीतिक मान्यता दे दी स्वास्तिक का चिन्ह सबसे ज्यादा पापुलर कब हुआ जब आर्यन एडोल्फ हिटलर अपनी राजनीतिक पार्टी नाजी का फिल्म बना दिया चिन्ह बना दिया जिसकी छाप हिटलर सभी इन्फॉर्म यूनिफॉर्म और तानाशाही का सिंबल बना दिया आखिर क्यों हिटलर स्वास्तिक के विचार से इतना ज्यादा प्रभावित था
वास्तव में कुछ विद्वानों को मानना है कि हिटलर से पहले स्वास्तिक और स्वास्थ्य की विचारधारा वाले लोग मौजूद थे उन्हीं लोगों में से ही हिटलर भी था या विचारधारा के लोग स्वास्तिक के पीछे खुद को सर्वश्रेष्ठ नाश्ता आर्यन अर्थात धरती पर के सभी लोगों से हम एक विचारधारा वाले आर्यन बिल्कुल अलग है हम श्रेष्ठ हैं खास सर्वश्रेष्ठ हैं हुकूमत करने का अधिकार केवल हमारा है
ऐसी विचारधारा से प्रभावित हिटलर जैसी विचारधारा को आदर्श मानने वाले की जड़ प्राचीन भारत में भी मौजूद थे जिस कारण काफी विद्वान मानते हैं और कुछ सामाजिक लोगों का मानना है कि आखिर हिटलर के नाजी पार्टी का चिन्ह स्वास्तिक और हिंदू धर्म का चिन्ह स्वास्तिक धार्मिक प्रतीक दोनों एक जैसे क्यों है ? क्या आपने कभी ऐसा सवाल किया नहीं किया है तो अपने आप से ऐसे सवाल कीजिए ?
असल में ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में हिटलर में ऐसी सोच के लोग जो अपने आप को तानाशाह आर्यन सबसे अच्छे नाच प्लस सबसे श्रेष्ठ समझते हैं हेलो ऐसी विचारधारा की प्रवृत्ति के लोग स्वास्तिक को अपना चिन्ह मानते थे
वर्ष 1920 में नाजी पार्टी जिसको हम नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी के नाम सेरी जानते हैं जिसका नेता इसी विचारधारा से प्रभावित व्यक्ति आर्यन एडोल्फ हिटलर ने स्वास्तिक को अपनी पार्टी ना जी का प्रतीक चिन्ह चुना यह प्रतिष्ठा स्वास्थ्य जर्मनी भाषा में हेकेनोक्रूएजा नाम से जाना जाता है
बहुत सोच समझ कर नाजी पार्टी के लिए स्वास्तिक को अपने पार्टी का चिन्ह अपनाया असल में ऐसा माना जाता है कि पुराने समय में हिटलर में ऐसी सोच के लोग जो अपने आप को तानाशाह आर्यन सबसे अच्छे नाच प्लस सबसे श्रेष्ठ समझते हैं हेलो ऐसी विचारधारा की प्रवृत्ति के लोग स्वास्तिक को अपना चिन्ह मानते थे जिसको बाद में एडोल्फ हिटलर ने एक खुला तानाशाही हुकूमत करने का चिन्ह बना दिया
इसी विचारधारा की सोच कि कुछ जड़े प्राचीन भारत में मौजूद थे जो धीरे-धीरे अपनी जड़े मजबूत करते करते पूरी पकड़ बना लिया
जिसको वह अपने यूनिफॉर्म में और सभी सैनिकों के यूनिफॉर्म में जर्मन उस हर जगह इस चिन्ह को लगाता था इसी विचारधारा की सोच कि कुछ जड़े प्राचीन भारत में मौजूद थे जो धीरे-धीरे अपनी जड़े मजबूत करते करते पूरी पकड़ बना लिया, हम सभी जानते हैं की हिटलर ने हुकूमत के लिए बड़े बड़े नरसंहार किए वह एक क्रूर तानाशाही शासक था जिसका असर भारत देश में भी आज के टाइम में भी और पुराने भारत में भी देखने को मिलता है
कुछ संगठन पॉलीटिकल पार्टी इसी विचारधारा के प्रिंसिपल पर आधारित हैं और वह देश में कत्लेआम दंगा फसाद हिंसा करवाने के बाद हुकूमत तक पहुंचते हैं कुछ भी कर सकते हैं ऐसा माना जाता है हिंदू धर्म के आर्य लोग और जर्मन आर्य अर्थात नाथ जी लोगों का कहीं ना कहीं कोई गहरा संबंध है उनका राजनीतिक प्रतीक स्वास्तिक और इनका राजनीतिक और धार्मिक दोनों का प्रतीक स्वास्थ्य पूरा मिलता-जुलता है
आज की आधुनिक भारत में हिटलर जैसे शैतानी आर्यन विचारधारा कि कुछ लोग हैं जो हिटलर के स्वास्तिक से प्रभावित हैं जो भारत देश के दबे कुचले निर्मल निर्धन अशिक्षित भोली-भाली जनता पर तानाशाही की हुकूमत गांव की प्रधानी से देश के प्रधानमंत्री की पदवी तक करते हैं और जो मन में आए वह नियम कायदा कानून इन भारत के गरीब मजलूम जनता के ऊपर थोप देते
और इनकी विचारधारा का विरोध करने पर यह इन गरीब मजलूम ऊपर जुल्म और सताव करते है एडोल्फ हिटलर और नाजियों की आर्यन वाली स्वास्तिक जो तानाशाही और क्रूरता का प्रतीक था वह आज भी दुनिया में और खासतौर पर भारत में कुछ खास समुदाय और लोगों के विचारों में जीवित है जो हमें हिटलर नाजियों का याद दिलाते हैं हमारी विचारधारा जो क्रूरता और तानाशाही का प्रतीक स्वास्तिक है यह पूरी दुनिया से और खासतौर पर भारत देश से पूरी तरह से बैन होना चाहिएSwastika स्वास्तिक