स्वघोषित आर्य ,पूर्व यहूदी भारत मे इंद्र को लेकर आये थे फिर देखते ही देखते 33 करोड़ सुर मतलब सुरा/शराब पीने वाले देवी -देवताओं की फौज खड़ी कर दी और राक्षसों(रक्षा करने वालो) को धोखे से हराया!
बलि को धोखे से हराया!
राजा शंकर को धोखे से हटाया!
महिषासुर को धोखे से मारा!
रावण को धोखे से मारा!
हिरण्यकश्यप को धोखे से मारा!
फिर आगे कारनामे देखिए!
सिकंदर आया!
शक आया!
कुषाण आया!
हुण आया!
महमूद गजनवी आया!
बिन कासिम आया!
गौरी आया!
अब्दाली आया!
बाबर आया!
अंग्रेज आये!
डच आये!
फ्रांसीसी आये!
पुर्तगाली आये!
किसी ने चूँ तक नहीं की!उल्टे देवता की पदवियाँ त्यागकर दरबारी/नौकर बन गए!
जैसे ही अंग्रेजों ने भारत छोड़ा फिर से देवी देवता के झुंड एकत्रित होने लग गए!
देश की सीमा के बाहर किसी से लड़ना तो छोड़िए,देश का 11बार विभाजन हुआ मगर एक भी छंटकर इधर-उधर नहीं हुआ!
वैसे इनके युध्दों के नियम-कायदे देखिये!
सुबह नगाड़े बजाकर लड़ना शुरू करते थे व शाम को शंख बजाकर बंद कर देते थे!रामायण/महाभारत इसके उदाहरण है!