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Delhi Stray Dog: जिम्मेदार नागरिक के तौर पर समाज में घटित होने वाली किसी भी घटना को हमें एक पहलू के आधार पर नहीं देखना चाहिए, भले ही वह किसी जानवर से ही संबंधित घटना क्यों न हो. एक रिपोर्ट के अनुसार राजधानी दिल्ली में बीते कुछ हफ्तों से 70 प्रतिशत डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ चुकी हैं. इसके बाद आम लोग काफी सहमे हुए नजर आ रहे हैं.
इन घटनाओं के शिकार बच्चों के साथ-साथ हर उम्र के लोग भी हैं, लेकिन इसके पीछे जानना यह जरूरी है कि आखिर में इंसानों के सबसे वफादार साथी के तौर पर पहचाने जाने वाले यह बेजुबान जानवर कभी-कभी इतने हिंसक क्यों होते जा रहे हैं? इसी मामले पर एबीपी लाइव ने डॉ. विशाल से बातचीत की है, जो दिल्ली के रोहिणी और प्रीतमपुरा क्षेत्र में बतौर पशु चिकित्सक काम करते हैं.
सवाल- बढ़ती घटनाओं के पीछे क्या वजह हो सकती है?
जवाब- सीजनल बदलाव के कारण हम पशुओं के व्यवहार में भी बदलाव देखते हैं. इस समय डॉग्स के टेस्टोस्टरॉन लेवल काफी हाई होते हैं. इसके अलावा इस बात से भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि अब जितने लोगों की संख्या पशुओं के प्रति प्रेम को लेकर बढ़ी है, उतने ही लोग अब पशुओं के प्रति नकारात्मक व्यवहार भी रखते हैं.
इसके कारण सड़कों पर आवारा पशु अपनी सुरक्षा को लेकर काफी उत्तेजित व्यवहार करते हैं, जिससे हमें निश्चित रूप से बचना चाहिए. अगर हम जानवरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर पाते तो उन्हें परेशान नहीं, इग्नोर करना चाहिए.
सवाल- आवारा कुत्तों या पशुओं के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?
जवाब- हम जरूर सतर्क रहें, लेकिन यह हमें समझना होगा कि जब तक हम इन्हें छेड़ते नहीं और इनके साथ बुरा बर्ताव नहीं करते हैं, तब तक इनके व्यवहार में गुस्सा और उत्तेजना नहीं आती. इस बात को हमें हर हाल में स्वीकारना होगा कि जिस प्रकार हम अपने घर में पाले हुए किसी भी जानवर के प्रति लगाव रखते हैं, ठीक वैसे ही सड़कों और सोसाइटी में जानवरों के प्रति भी वैसी ही सोच होनी चाहिए.
अगर हम उनका ख्याल नहीं रखते हैं, तो उनको किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचाना चाहिए. सामाजिक संस्थाएं, पशु चिकित्सक इनके प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं, लेकिन यह जिम्मेदार आम नागरिक का भी कर्तव्य है कि इन आवारा पशुओं के साथ भी एक सकारात्मक रवैया अपनाएं और अगर ऐसा नहीं कर पाते तो इन्हें कम से कम हानि न पहुंचाएं.
सवाल- इन घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है?
जवाब- किसी भी क्षेत्र या सोसाइटी में हमें न्यूट्रल पॉलिसी पर ध्यान देना होगा, जिस प्रकार आम लोगों की भी जनसंख्या बढ़ने पर सरकार और सामाजिक संस्थाओं की ओर से लोगों को जागरूक किया जाता है, ठीक उसी प्रकार सरकारी पशु चिकित्सालय और सामाजिक संस्थाओं की तरफ से जिम्मेदारी उठाते हुए इन्हें क्षेत्र अनुसार न्यूट्रल करने पर ध्यान देना चाहिए. यानी इनकी जनसंख्या सीमित होनी चाहिए.
इनके देखभाल के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी क्षेत्रों के अनुसार डॉग शेल्टर का निर्माण कराना चाहिए, जहां नियमित तौर पर खाने पीने रहने और स्वास्थ देखभाल की पूरी सुविधा उपलब्ध हो. इसके अलावा आम लोगों का भी इन आवारा पशुओं प्रति व्यवहार बहुत सकारात्मक होना चाहिए.
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