Rajat Sharma's Blog: हमास-इज़रायल युद्ध, 'दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है'

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Rajat Sharma, Chairman and Editor-in-Chief of India TV- India TV Hindi

Image Source : इंडिया टीवी
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

इज़रायल और हमास के बीच जंग ने पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है। गाजा में जंग के मैदान में मौजूद इंडिया टीवी संवाददाता अमित पालित ने बताया कि इजरायल के 1 लाख फौजी किसी भी वक्त गाजा में घुस सकते हैं। 3 लाख 60 हजार फौजी रिजर्व में रखे गए हैं। 300 टैंक गाजा बॉर्डर तक पहुंच चुके हैं।इंतजार है इन्टेलिजन्स की मंजूरी का, इजराइल की फौज किसी जाल में नहीं फंसना चाहती, ये सुनिश्चित करना होगा कि हमास ने बारूदी सुरंगें तो नहीं बिछाई हुई हैं। इज़रायल  गाजा की आम जनता को हमले से भी बचना चाहता है। इज़रायल ने फिलीस्तीनी लोगों को गाज़ा सिटी छोड़कर जाने का निर्देश दिया है लेकिन हमास ने गाजा के लोगों से कहा है कि वो अपने घरों को न छोड़ें। हमास ने दावा किया है कि इजरायल की बमबारी में उन 13 इजरायली नागरिकों की मौत भी हो गई है जो हमास के कब्जे में थे लेकिन इजरायल ने साफ कर दिया कि जब तक हमास का नामोनिशान नहीं मिटा देंगे तब तक युद्ध नहीं रूकेगा। इजरायली वायु सेना की बमबारी में गाजा पट्टी में डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरी बड़ी बात ये है कि पुरी दुनिया में शुक्रवार को हमास के समर्थन में मुस्लिम संगठनों ने प्रोटेस्ट किया। जॉर्डन, लीबिया, ईरान के अलावा फ्रांस में बड़ी संख्या में मुसलमान हमास के समर्थन में सड़कों पर निकले। हालांकि फ्रांस और ब्रिटेन की सरकारों ने हमास के समर्थन में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। लंदन में सारे यहूदी स्कूल बंद कर दिए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि हमारे देश में भी ज्यादातर मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद हुई तकरीरों में हमास के समर्थन में नारे लगे। कई शहरों में हमास के समर्थन में प्रदर्शन हुए। लेकिन नोट करने की बात ये है कि हमास के खिलाफ इजराइल के एक्शन को लेकर अब दुनिया दो हिस्सों में बंट गई है।

अमेरिका, भारत और यूरोपीय देश पूरी तरह इजराइल के साथ खड़े हैं, लेकिन रूस, ईरान, इराक, लेबनान और दूसरे मुस्लिम देश हमास के साथ खड़े हो गए हैं। यूरोपीय यूनियन ने दिल्ली में जी20 संसदीय स्पीकर्स के सम्मेलन में इजराइल-फिलस्तीन का मुद्दा उठाया। EU ने कहा कि हमास का राजनैतिक और आर्थिक समर्थन बंद होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कर दिया कि आतंकवाद दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी रूप में हो, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता, आतंकवाद को मजहब के चश्मे से देखना ठीक नहीं हैं। लेकिन रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि इजराइली हमलों में आम लोगों को नुकसान हुआ है और आम लोगों को हुए नुकसान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तेल अवीव पहुंचे अमेरिका के रक्षामंत्री ने कहा कि अमेरिका हमास को बर्बाद करने के इजराइल के अभियान में पूरी तरह उसके साथ है क्योंकि हमास ने बेगुनाह इजराइली नागरिकों का कत्ल किया है। इजरायल ने इतने बड़े पैमाने पर हमास पर हमला क्यों किया?

इसके बारे में मैंने कई एक्सपर्ट से बात की। असल में इजरायल ये समझता है कि ईरान और हमास ने मिलकर इजरायल का दबदबा खत्म करने का प्लान बनाया था और एक तरह से हमास ने इजरायल को एक बड़ा झटका दिया भी।पहली बार इजरायल की इंटेलिजेंस का इतना बड़ा फेल्यर हुआ। पहली बार इजरायल की मिलिट्री के वर्चस्व को भी धक्का लगा क्योंकि उसकी तैयारी में कमी दिखाई दी। अब इजरायल, ईरान और हमास को और एक तरह से पूरी दुनिया को दिखाना चाहता है कि उसकी सैन्य ताक़त बरकरार है और वो गाजा पर कब्जा करने में सक्षम है।  कुछ हद तक इजरायल की बात सही भी है क्योंकि सैन्य ताक़त और इंटेलिजेंस के मामले में इजरायल वाकई में बहुत मजबूत है और इसकी ताकत इसीलिए कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि उसके पास  पश्चिमी देशों का, खासतौर से अमेरिका का पूरा पूरा समर्थन है। मैंने एक्सपर्ट्स से इस बात को लेकर भी चर्चा की कि ईरान और हमास दोनों जानते थे कि इजरायल उन्हें करारा जवाब देगा तो भी हमास ने इजरायली नागरिकों की इतनी क्रूरता से हत्या करने की हिमाकत क्यों की? सबका कहना ये है कि ईरान और हमास इस बात को लेकर काफी परेशान हो गए थे कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच रिश्तों में सुधार हो रहा था।  अमेरिका की कोशिश से सऊदी और इजरायल के बीच एक शांति समझौता साइन होने वाला था। अगर ये हो जाता तो खाड़ी के देश और इजरायल मिलकर ईरान को कमजोर कर सकते थे और ईरान को लगता था कि इस क्षेत्र में अमेरिका की ताकत और बढ़ जाएगी। इसीलिए फिलिस्तीन की आड़ लेकर, उनपर हुए जुल्म के नाम पर इजरायल पर इस तरह का हमला किया गया। लेकिन मुझे लगता है कि ईरान का ये प्लान फेल हो गया।

ये बात तो समझ में आती है कि हमास के खिलाफ गाजा में जिस तरह का एक्शन इजरायल ने किया है। उससे समस्या का समाधान नहीं निकल सकता, पर इजरायल अपनी ताकत दिखा देगा, दूसरी बात ये कि  इस जंग की वजह से अरब शांति पहल एक बार फिर से जरूरी हो जाएगी। सऊदी और अमीराती इजरायल  का साथ देते नजर आएंगे, कम से कम उसके खिलाफ खड़े  नहीं होंगे। नोट करने वाली बात ये है कि पूरी दुनिया में कई जगह हमास के समर्थन  में प्रदर्शन हुए हैं लेकिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के मुल्कों में कहीं कोई आवाज नहीं उठी। जुमे की नमाज के बाद अपने खुत्बे में मौलानाओं ने जो कुछ कहा, उसे सुनने की ज़रूरत है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजहब के खिलाफ जंग बताकर लोगों को बहकाना खतरनाक है। ये न दुनिया के अमन चैन के लिए अच्छा है और न मुस्लिम भाइयों के लिए।।

हमास ने इजराइल में छोटे छोटे मासूम बच्चों का गला काट दिया, 14-15 साल के बच्चों के हाथ पैर बांध कर उन्हें बम से उड़ा दिया, महिलाओं के साथ बलात्कार करके उन्हें मार डाला, फिर लाशों के कपड़े उतार कर सड़क पर घसीटा,पुरूषों की लाशों को चीर कर उनका मांस खाया,इसके वीडियो बनाकर सर्कुलेट किए। क्या इस्लाम इसकी इजाजत देता है? क्या ये इस्लाम की तालीम के खिलाफ नहीं हैं? क्या कोई मुसलमान इस तरह के वहशीपन को समर्थन कर सकता है? लेकिन हमास की इस हैवानियत की तरफ से आंखे फेरकर इजराइल के एक्शन को मुसलमानों पर हमला बताकर दुनियाभर के मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। अमनपसंद लोग इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। जो लोग इस मुद्दे पर इजराइल के साथ खड़े होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध कर रहे हैं, उनका मकसद भी सियासी है। क्योंकि मोदी ने साफ साफ कहा है कि आंतकवाद का कोई मजहब नहीं होता, आतंकवाद इंसानियत का दुश्मन है। दहशतगर्दी  का सबको मिल कर मुकाबला करना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 अक्टूबर, 2023 का पूरा एपिसोड

https://www.youtube.com/watch?v=_w0Go1nNtGo

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