सामायिकी
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मुश्किल घड़ी में है मुल्क
मुझ जैसे लोग यदि भारतीय जनता पार्टी की राजनीति का विरोध करते हैं, तो केवल इसलिए कि वह भारत के उस विशिष्ट विचार से परहेज करता है,जिसे हजारों साल में हमारे ऋषि -मुनियों ,दार्शनिकों और कवियों ने गढ़ा है। हमें बतलाया गया है कि भारत उस भरत के नाम पर बना, जो शकुंतला – दुष्यंत के अभिसारस्वरुप पैदा हुआ। इसे लेकर कवि कालिदास का नाटक ‘ अभिज्ञान शाकुंतलम ‘ विश्व-विश्रुत है। उसका आधार इतिहास नहीं, पौराणिकता है। इस नाटक के नांदीपाठ में ही कवि जल ,अग्नि, होता, सूर्य ,चंद्र, आकाश,पृथ्वी और वायु के आठ रूपों में शिव स्वरुप भारत को देखता और वंदना करता है। कुछ -कुछ इसी प्रकार जवाहरलाल नेहरू ने भारत को देखा था। सभी धर्मों ,वर्णों ,जातियों और नस्लों के लोग जो उत्तर के हिमालय से लेकर दक्षिण के समंदर तक रहते हैं भारत के अभिन्न हिस्से हैं ,भारतीय हैं। वे हिन्दू ,मुस्लिम,सिक्ख ,ईसाई,बौद्ध,जैन बाद में हैं। इसीलिए मैं कहता रहा हूँ कि भारत एक विचार है ,जिसे समझने केलिए दिल-दिमाग की जरुरत होती है।
हमारे आधुनिक जमाने के कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा –
हेथाय आर्य, हेथा अनार्य , हेथाय द्रविड़ -चीन ,
शक-हूण-दल, पठान -मोगल एक देहे होलो लीन।
जाने कितनी नस्लें, कितने मजहब और उपासना विधियां यहाँ जज्ब हुई पडी हैं। थोड़े -से हिस्से में आर्य हैं, तो लगभग पूरे दक्षिण में द्रविड़ । मंगोल और चीन नस्ल के लोगों से हमारा पूरा पूर्वोत्तर भरा हुआ है । फिर मिश्रित नस्लें हैं। कहीं पहाड़ है, कहीं नदियां, समतल मैदान हैं तो समंदर किनारे के मनभावन इलाके। रवीन्द्र ,इकबाल, कुमार असान से लेकर हमारे बिहार के रघुवीर नारायण तक ने इस भारत के गीत गए हैं। अब तो एक जनमनगण का गान हर हिस्से में सुनाई देता है। इन सबको बनाने -संवारने में समय लगा है। अभी और समय लगेगा।
लेकिन कुछ सिरफिरे लोग इस तानेबाने को तोडना चाहते हैं । वे लोग एकबार फिर पुराने जाहिलिया दौर में लौटना चाहते हैं। हिन्दू -मुस्लिम करके ब्रिटिश राज वालों ने भारत को एकबार तोडा है। कुछ लोग फिर इसे तोड़ना चाहते हैं। इसमें हिन्दू भी हो सकते हैं, मुसलमान भी। लेकिन अब हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना है।
पिछले दो दिनों में मुल्क के कुछ हिस्सों में एक संप्रदाय विशेष के लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किए और तोड़फोड़ की है। इसे कुछ बाहरी देशों और कुछ अपने ही शरारती तत्वों ने हवा -पानी दी है। मैं पहले ही इसकी निंदा कर चुका हूँ । यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं था जिस पर इस तरह चिल्ल-पों हो। किसी ने किसी पैगम्बर पर कुछ कह दिया तो इससे पैगम्बर का बड़प्पन, यदि सचमुच है, तो खंडित नहीं हो जाता। हाथी चले बाजार कुत्ता भूके हजार की कहावत यूँ ही नहीं प्रचलित है। हमारे मुल्क में चार्वाकवादियों ने वेदों से लेकर ईश्वर की खूब निंदा की है। गालियां भी दी है। वे विरोध भी हमारी परंपरा के हिस्से हैं ,जिसे लोकायत कहा जाता है। रामायण पर हमारे ही देश के एक नास्तिक विचारक पेरियार रामासामी नायकर ने खुली आलोचना की है। ब्राह्मण धर्म वालों ने बौद्धों कीऔर बौद्धों ने ब्राह्मण धर्म वालों की खुली निंदा की है। इसी वाद -विवाद से ज्ञान का विकास होता है। रेनेसां और प्रबोधन काल में यूरोप में बाइबिल और ईश्वर की धज्जियाँ उड़ा दी गईं और फलस्वरूप वहाँ आधुनिक विज्ञान और टेक्नोलॉजी का विकास-विस्तार हुआ। इन सब को हमें जानना चाहिए।
भाजपा की आलोचना हम इसलिए करते हैं कि उसने भारत की प्रस्तावना और विचारधारा को अलग -थलग कर दिया है और हिंदुत्व के रास्ते मुल्क को दकियानूसी दौर में ले जाना चाहता है। उसकी कोशिश है कि पूरा देश मंदिर मस्जिद की लड़ाई में शामिल हो जाय। इसलिए जैसे ही पैगम्बर विवाद पर कुछ लोग जुलूस लेकर निकले भाजपा की बांछे खिल गई। यह तो पुलवामा से भी अधिक कारगर हुआ। घर -घर में बहस शुरू हो गई है। मैं ओबैसी जैसे लोगों से पूछना चाहूंगा कि आप के गैरजिम्मेदाराना बयानों ने भाजपा का कितना फायदा किया आपको पता है? कल तक एनआरसी -सीएए मामले पर आपलोग शाहीनबाग और देश के हर हिस्से के चौक -चौराहे पर राष्ट्रीय ध्वज लेकर जनगणमन का गान कर रहे थे। संविधान और राष्ट्रीय आंदोलन को याद कर थे। अचानक किसके फेरे में आप पड़ गए? इस तरह के जुलूस -प्रदर्शन आप यदि रोजगार और महंगाई के सवाल पर करते तो हम सब साथ होते। धर्म -संप्रदाय और वेद -कुरान की लड़ाई से अपने को बाहर कीजिए। वोट बटोरने वाले नेताओं ने आपके सामाजिक -आर्थिक मामलों को कभी नहीं उठाया। मंदिर -मस्जिद की लड़ाई में फँसाकर लोग आप सबको उल्लू बना रहे हैं। आप प्रदर्शन कीजिएगा ,तोड़फोड़ कीजिएगा, तो सरकारें आपको छोड़ देंगी यह आपलोग भूल जाइए। कुवैत और कतर आपका कोई सहयोग नहीं करेंगे। अभी आपलोगों ने जो हंगामा खड़ा किया है उसमें आपका चलाया हुआ हर पत्थर आपके भविष्य पर किया गया जोरदार प्रहार है। जिन लोगों ने अपशब्द बयां किए थे उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है और आगे भी होगी। उनका जुर्म ऐसा भी नहीं है कि उन्हें फांसी दी जाय। यहाँ भारत का कानून चलेगा,इस्लामी या हिन्दू कानून नहीं। मुंबई को तबाह करने वाले कसाब को भी एक प्रक्रिया के बाद ही दण्डित किया गया। आपके या मेरे निदेश से कानून काम नहीं करेगा। आप शिक्षित हों , आधुनिक बनें और नयी दुनिया को समझने की कोशिश करें। भाजपा का मुस्लिम पक्ष नहीं बनें। इस्लाम या हिंदुत्व नहीं, यह सेकुलरवाद और संविधान ही हम सब की हिफाजत करेगा। इसमें हम सब साथ -साथ होंगे।
© प्रेम कुमार मणि
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