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BJP Focus on MP Tribal Vote Bank: मध्य प्रदेश में पांच साल के लिए सत्ता की चाबी हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) एक बार फिर विंध्य इलाके का रुख कर रहे हैं. चुनाव से पहले आदिवासी वोटर्स को साधने के लिए शिवराज सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूते-सैंडिल, साड़ी, पानी की बोतल और छाता बांटने की शुरुआत विंध्य क्षेत्र से करने जा रही है.
प्रदेश में कुल 15.24 लाख तेंदू पत्ता संग्राहक परिवार हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 26 जुलाई को सिंगरौली के देवसर में अपने हाथों से इस योजना का श्रीगणेश करेंगे. इसके बाद 15 अगस्त तक अलग-अलग जिलों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के सम्मेलन आयोजित कर जूते, सैंडिल, साड़ी, पानी की बोतल और छाता का वितरण किया जाएगा. लघु वनोपज संघ का मनना है कि सिंगरौली में प्रदेश में सर्वाधिक 1.70 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार हैं. इस वजह से कार्यक्रम के लिए सबसे पहले सिंगरौली जिले को चुना गया है.
बीजेपी का विंध्य इलाके पर फोकस
साल 2018 के चुनाव में विंध्य इलाके से कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने वाली बीजेपी इस बार थोड़ा तनाव में है. पिछले चुनाव में विंध्य की 30 में से 24 सीट पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. इस बार जनता में नाराजगी और पार्टी के भीतर अंतर्विरोध की खबरों के बीच बीजेपी लगातार विंध्य इलाके पर फोकस कर रही है. यहां के रीवा और शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 मेगा इवेंट बीजेपी आयोजित कर चुकी है इसी तरह गृह मंत्री अमित शाह भी आदिवासी कोल समाज के शबरी सम्मेलन में शिरकत करने विंध्य आ चुके हैं.
बघेलखंड में पिछड़ती नजर आई रही बीजेपी
दरअसल, एबीपी न्यूज़ और सी वोटर के सर्वे में भी बीजेपी बघेलखण्ड (विंध्य और बुंदेलखंड) इलाके से पिछड़ती दिख रही है. यहां की 56 सीटों में से 30 से 34 सीटें कांग्रेस को तो 21 से 25 सीटें बीजेपी को जाती दिख रही है.वोट शेयर में भी 4 प्रतिशत का फायदा कांग्रेस को हो रहा है.कांग्रेस को 44 प्रतिशत और बीजेपी को 40 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है.
इसी तरह सतना जिले की मैहर सीट से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी
पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए है.उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाने के साथ विंध्य की सभी 30 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है.इसका सीधा असर बीजेपी के वोटों पर पड़ेगा.रीवा,सतना,सीधी,सिंगरौली, शहडोल,अनूपपुर और उमरिया जिले में भाजपा के कब्जे वाली सीटों पर नारायण त्रिपाठी की पार्टी से पड़ने से नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता है.
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