India vs Bharat Row: 'इंडिया गठबंधन से इतनी घबराहट क्यों…', देश का नाम बदलने के विवाद पर बोले सपा सांसद एसटी हसन

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India Name Change Row: जी-20 सम्मेलन के निमंत्रण में इंडिया (India) की जगह भारत (Bharat) लिखे जाने पर इन दिनों सत्ता पक्ष और विरोधी दलों के बीच तीखी बहस देखने को मिल रही है. जिस पर अब समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ एसटी हसन की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. सपा सांसद ने इसे I.N.D.I.A गठबंधन से डर और सत्ता पक्ष की बौखलाहट बताया है. उन्होंने कहा कि ये बचकानी हरकत है, देश के अंदर NDA को I.N.D.I.A गठबंधन से इतनी ज्यादा घबराहट क्यों है? क्यों इतने परेशान हो रहे हैं?

सपा सांसद ने कहा कि अगर उन्होंने 10 साल में कुछ काम किया होता तो इतनी परेशानी नहीं आती. काम तो कुछ नहीं किया, न किसानों के लिए, न बेरोजगारों के लिए, न महंगाई, न गरीब के लिए कोई काम किया, क्योंकि इनके पास फॉर्मूला था हिंदू-मुसलमान का. अब इंडिया में सभी कुछ है. इसलिए इंडिया नाम से आपको कोई परेशानी क्यों महसूस हो रही थी जो आपको हटाना पड़ गया. ये तो सैकड़ों साल पुराना नाम है. भारत की क्यों बेइज्जती कर रहे हैं. ये नाम हटा कर दुनिया में इंडिया जाना जाता है. 

‘विपक्ष के गठबंधन से घबराई बीजेपी’

सपा नेता ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में इंडिया, भारत और हिन्दुस्तान जाना जाता है. ये बहुत निम्न स्तर की राजनीति हो रही है. उसमें भारत का राष्ट्रपति लिख देते प्रेसिडेंट भी तो अंग्रेजी का शब्द है. इसमें जो बौखलाहट है ये सब ‘इंडिया’ गठबंधन से है. इसी से घबराकर, हताश होकर ये सब काम कर रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर ऐसा ही था तो पहले इसका नाम क्यों नहीं बदला गया. बीजेपी से बड़े हिंदू सनातनी इंडिया गठबंधन में मौजूद हैं और ऐसे-ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म के लिए कुर्बानी भी देने को तैयार रहे हैं. इस गठबंधन के हिंदुत्व को लेकर सवाल न खड़े करे तो बेहतर होगा. गठबंधन के नेताओं ने हिंदुत्व को कभी खुद के लिए या पार्टी के लिए इस्तेमाल नहीं किया है.  

उदयनिधि स्टालिन के बयान पर कही ये बात

सनातन पर उदयनिधि स्टालिन के बयान और प्रकाश अंबेडकर के ट्वीट पर सपा सांसद ने कहा की सनातन धर्म में करोड़ों लोगों की आस्थाएं हैं, लोगों की जीवन पद्धति है. किसी भी धर्म के बारे में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. अपने-अपने धर्मों का सभी लोग पालन करते हैं. सारे धर्मों ने इंसानियत का सबक सिखाया है, तो हम तो यही समझते हैं कि ये गलत है. ऐसा हमारे देश में नहीं होना चाहिए. अगर वो समझते हैं कि कोई कमी है तो वो रिफॉर्म कर सकते हैं.

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