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Chhattisgarh Hospital News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए शहर से 9 किमी दूर मेडिकल कॉलेज ले जाना पड़ता है. बस्तर संभाग भर के मरीजों का दबाव झेल रहे बस्तर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में परिवारों को कई बार 8-8 घंटे या फिर दूसरे दिन तक पोस्टमार्टम के लिए इंतजार करना पड़ता है. वह भी तब जब शहर में सरकारी अस्पताल मौजूद है. गौरतलब है कि महारानी अस्पताल में पिछले करीब पांच साल से पोस्टमार्टम की सुविधा बंद कर दी गयी है. इतने दिनों में करीब 5 हजार लोगों को पोस्टमार्टम करवाने के लिए उनके परिजनों को मजबूरन डिमरापाल असप्ताल शव को लेकर दौड़ लगाना पड़ता है.
लोगों को हो रही इस परेशानी के लिए कई बार शिकायत भी की गई है लेकिन असंवेदनशील अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है. इधर जिला प्रशासन ने इस संबंध में कुछ निर्देश भी जारी किये लेकिन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ. खास बात ये है कि 4 साल पहले 15 करोड़ की लागत से जिला सरकारी महारानी अस्पताल को नया स्वरूप दिया गया है, लेकिन इस अस्पताल में पोस्टमार्टम की सुविधा नहीं है. गौरतलब है कि पोस्टमार्टम मेडिकल में सेकंड क्लास ऑफिसर करते हैं. महारानी अस्पताल में लाखों की सैलरी में पर्याप्त डॉक्टर मौजूद हैं. फिर भी शहरवासियों को भटकना पड़ रहा है.
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परिजन शव लेकर 9 किमी लगाते हैं दौड़
दरअसल दो साल पहले यह मामला जिला प्रशासन के सामने भी आया था. उन्होंने लोगों की इस परेशानी को गंभीरता से लेते हुए पोस्टमार्टम को जल्द महारानी में शुरू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन उनके निर्देश के बाद भी महारानी अस्पताल में सेवा नहीं शुरू हो सकी. हालांकि जिला प्रशासन ने इस सुविधा के शुरू होने को लेकर शायद अगली बार कोई जानकारी ही नहीं मांगी. जिसके चलते सेवा शुरू होने की अभी भी दरकार है. बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार और जानकार श्रीनिवास रथ का कहना है कि शायद महारानी अस्पताल देश का पहला ऐसा जिला अस्पताल होगा, जहां 4 साल से एक भी पोस्टमार्टम नहीं हुआ है. जगदलपुर शहर की करीब 3 लाख आबादी है और हर साल करीब एक हजार लोगों का पोस्टमार्टम यहां हुआ करता था, लेकिन यहां पोस्टमार्टम जैसी सुविधा के लिए महारानी नहीं बल्कि शहर से 9 किमी दूर मेडिकल कॉलेज सह डिमरापाल अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है. दु:ख की घड़ी में लोगों को शव लेकर मेडिकल कॉलेज तक जाना पड़ता है. फिर इसके बाद वापस शहर आकर यहां अंतिम संस्कार की व्यवस्था में जुटे हैं. पहले जहां पोस्टमार्टम की व्यवस्था की गई थी. आज वह जगह ढाई साल से बंद है और यहां की बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है.
सरकारी अस्पताल में नहीं है पोस्टमार्ट की सुविधा
खास बात यह है कि बस्तर जिले में पीएससी तक में पोस्टमार्टम की सुविधा है, लेकिन जिला अस्पताल में अब तक यह शुरू नहीं हो पाया है, गांव में डॉक्टर पहुंचकर पीएम कर रहे हैं, लेकिन जिला अस्पताल में अब तक यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. करीब पांच साल में 4 हजार लोगों का पीएम मेडिकल कॉलेज सह डिमरापाल अस्पताल में हुआ. जिसमें ढाई हजार से अधिक लोग जगदलपुर शहर के लोग शामिल हैं. ऐसे में यहां सुविधा नहीं मिलने से लोगों में काफी नाराजगी है. वहीं इसे दूर करने प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है. इधर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि महारानी अस्पताल में पोस्टमार्टम बंद जैसी बात नहीं है. इसके लिए मेडिकल ऑफिसर की जरूरत होती है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से यहां पोस्टमार्टम नहीं हो पा रहा है. दोबारा यहां पोस्टमार्टम शुरू कराने का जल्द ही प्रयास किया जाएगा.
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