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Cameron Green Chronic Kidney Disease: ऑस्ट्रेलिया के फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर कैमरून ग्रीन ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया है कि वह जन्म से ही किडनी के रोग से जूझ रहे हैं. उनकी यह बीमारी अभी स्टेज-2 पर है. उन्होंने अपनी इस बीमारी को लेकर विस्तार से बातचीत की है.
चैनल-7 को दिए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया, ‘जब मैं पैदा हुआ तो मेरे माता-पिता को बताया गया था कि मुझे किडनी से जुड़ी बीमारी है. तब कोई लक्षण तो नहीं थे लेकिन यह अल्ट्रा साउंड के जरिए पता चला था.’
ग्रीन कहते हैं, ‘क्रोनिक किडनी डिसीज एक तरह से किडनी के हेल्थ फंक्शन से जुड़ी एक लगातार बढ़ने वाली बीमारी है. बदकिस्मती से मेरी किडनी उतने बेहतर तरह से खून का फिल्टर नहीं कर पाती, जैसा कि अन्य लोगों की किडनी करती हैं. फिलहाल यह केवल 60% खून फिल्टर करती है यानी मैं अभी स्टेज-2 पर हूं.’
Cameron Green has chronic kidney disease.
There are five stages to it, with the fifth stage requiring a transplant or dialysis.
This is how Green – currently at stage two – manages the condition every day… pic.twitter.com/ikbIntapdy
— 7Cricket (@7Cricket) December 14, 2023
ग्रीन यह भी बताते हैं कि अपने अब तक के पूरे करियर के दौरान उन्होंने इस बीमारी को बहुत अच्छे से मैनेज किया है. एकमात्र एक ऐसी घटना हुई है, जब ग्रीन इस रोग के कारण बहुत असहाय दिखे थे. यह घटना पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे मैच के दौरान सामने आई थी.
न्यूजीलैंड के साथ उस मुकाबले में उन्हें बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था. ग्रीन कहते हैं कि उस मैच में उन्होंने काफी गेंदबाजी की थी और फिर बल्लेबाजी में भी देर तक पिच पर खड़े रहे थे. इस दौरान उन्होंने लिक्विड फूड या पानी भी कम लिया था, जिसकी वजह से उन्हें यह दर्द सहना पड़ा था.
‘पांचवीं स्टेज में डायलिसिस और ट्रांसप्लांट का ही विकल्प’
ग्रीन बताते हैं, ‘क्रोनिक किडनी डिसीज के पांच स्टेज होते हैं. पहली स्टेज में कोई खतरा नहीं होता और पांचवी स्टेज तक आते-आते किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस की नौबत आ जाती है. अच्छी बात है कि मैं स्टेज-2 पर हूं. लेकिन अगर आप खुद का ध्यान नहीं रख रहे हैं तो यह तेजी से आगे बढ़ती जाएगी. किडनी कभी ठीक नहीं होती. आप केवल इसके खराब होने की गति को धीमा कर सकते हैं. मेरे लिए अच्छी बात यह है कि मुझे इस क्रोनिक किडनी डिसीज से शारीरिक तौर पर कोई नुकसान नहीं हुआ है, अन्यथा बाकी मरीजों में यह बेहद नुकसान देने वाली रहती है.’
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