बाबा साहब डॉक्टर अम्बेडकर अगर धर्म परिवर्तन न करते तो उनका व्यक्तित्व स्वीकार्य नही किया जाता

बाबा साहब डॉक्टर अम्बेडकर अगर धर्म परिवर्तन न करते तो उनका व्यक्तित्व स्वीकार्य नही किया जाता क्योंकि यह समझा जाता की बाबा साहब एकाएक अग्रेसिव करके बीच मंझदार में छोड़कर चले गए। लेकिन उन्होंने भारत के शोषित समाज को बीच मंझदार में नही छोड़ा।

बाबा साहब डॉक्टर अम्बेडकर अगर धर्म परिवर्तन न करते तो उनका व्यक्तित्व स्वीकार्य नही किया जाता

बाबा साहब आजीवन “कारण” बताते रहे और इस कारन बताने से काफी रुकावट आई

क्योंकि उनका पूरा साहित्य, संघर्ष, आंदोलन “स्वतंत्र अस्तित्व व् मनोबल” के इर्दगिर्द घूमता रहा जिससे शोषित समाज अपने मानव अधिकार प्राप्त कर सके और यह तब तक सम्भव नही था जब तक यह न समझाया जाए की “शोषण” का कारण क्या थ। अम्बेडकर साहब आजीवन “कारण” बताते रहे और इस कारन बताने से काफी रुकावट आई जैसे गाँधीजी वगैरह वगैरह लेकिन वो रुके नही बताते रहे।

अब कारण जब धार्मिक था, एकाएक एक समाज से यह सहारा छीन लेना जिसे वो आँखे व् दिमाग बन्द करके स्वीकार कर रहे थे, तब अपूर्ण रहता अगर किनारा बाबा साहब नही बताते, अगर वाकई में नही बताते तो शोषित समाज 100% मंझदार में दिखता, लेकिन बाबा साहब अनितम समय में बौद्ध धर्म का किनारा दिखाकर गए। जिसे लाखो अनुयायियो ने अपनाया और मंझदार से किनारे पर आ गए।

इसलिए बाबा साहब महान है।

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