दम निकाल देता है-दमा अस्थमा कारगर हैं आदिवासी जड़ी बूटियां कारगर हैं-आदिवासी जड़ी बूटियां

दम निकाल देता है-दमा अस्थमा कारगर हैं आदिवासी जड़ी बूटियां कारगर हैं-आदिवासी जड़ी बूटियां
कारगर हैं-आदिवासी जड़ी बूटियां! दमा पीड़ित

अक्सर सुनने को मिलता है-अस्थमा यानी दमा जिस किसी को हो गया, दम निकाल देता है। जीना मुश्किल कर देता है। दमा पीड़ित, इतने दु:खी हो जाते हैं कि मौत मांगते रहते हैं। मैंने बचपन में दमा से पीड़ित अनेकों लोगों, विशेषकर बुजुर्गों की दर्दनाक दुर्दशा देखी थी। तब अनेक बार मन में सवाल उठता रहता था, ऐसा कोई नुस्खा बनाया जाये कि किसी तरह आदिवासी जड़ी बूटियों के प्राकृतिक स्वास्थ्य रक्षक गुणों के जरिये दमा पीड़ितों को राहत दी जा सके और कम से कम उनके जीवन को सहज बनाया जा सके? खुशी की बात है कि प्रकृति की कृपा से यह लक्ष्य हासिल हो चुका है।

शुरूआत में इसी मकसद से 50 से अधिक आदिवासी जड़ी बूटियों का अनेकों प्रकार से, विभिन्न मात्राओं में बार-बार शोधन और परीक्षण किया गया और अनेक पीड़ितों को मुफ्त में सेवन करवाया गया।

शुरू के 10 साल तक बात बनी नहीं। अंतत: 11वें साल में लम्बे प्रयत्नों के बाद सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे। पहली बड़ी सफलता और आत्मसंतोष तब मिला जब एक 76 वर्षीय बुजुर्ग जो बिना विश्राम किये 20 कदम भी नहीं चल पाता था, वह नुस्खे का 6 महिने सेवन करने के बाद बिना सहारे, बिना विश्राम किये खेतों में अकेला ही शौचादि से निवृत होने जाने लगा। कुआ से 15 लीटर की बाल्टी से पानी खींचने/निकालने में समर्थ हो गया।

यह बात और है कि आंधी रोकना बस में नहीं!
मगर चिराग जलाना तो, मेरे हक में शामिल है!

इसके बाद 12वें साल में उक्त नुस्खे का विभिन्न आयु वर्ग के 100 से अधिक दमा पीड़ितों को सेवन करवाया गया। साथ में लक्षणानुसार कुछ होम्योपैथिक एवं बायोकेमिक औषधि तत्वों का भी सेवन करवाया गया। इनके सेवन के दौरान जिन दमा पीड़ितों ने धूम्रपान, तंबाकू, गुटखा, चिकनाई, तले भुने बाजारू एवं पैक्ट यानी डिब्बा-बन्द पेय एवं खाद्य पदार्थों को त्याग दिया, उनको तो उम्मीद से भी अच्छा स्वास्थ्य लाभ देखने को मिला। मगर जो लोग नशे की लत एवं अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों को नहीं छोड़ सके, उन्हें तुलनात्मक रूप से बहुत कम लाभ मिला।

इसके बाद लगातार आदिवासी जड़ी बूटियों में कुछ न कुछ घटोतरी-बढोतरी करने और लगातार परिणाम जांचने का सिलसिला लगातार 3 साल तक चला। अंत में, 15 वर्षों की मेहनत रंग लायी और परिणामों में गुणात्मक बढोतरी होने लगी। मगर दमा पीड़ित के लक्षणानुसार होम्योपैथिक एवं बायोकेमिक औषधि तत्वों का साथ में सेवन करवाने से ही परिणाम अधिक बेहतर हो सके।

15 साल के लंबे शोधन और परीक्षणों के बाद अनुभवसिद्ध नुस्खे को मैं पिछले 17 सालों से छोटे स्तर पर दमा पीड़ितों को सेवन करवाता आ रहा हूं।

इस प्रकार उपरोक्तानुसार 15 साल के लंबे शोधन और परीक्षणों के बाद अनुभवसिद्ध नुस्खे को मैं पिछले 17 सालों से छोटे स्तर पर दमा पीड़ितों को सेवन करवाता आ रहा हूं। जिससे अनेक दमा पीड़ितों का जीवन बदल चुका है। जिससे उनका जीवन लगभग सामान्य हो चुका है।

इसके बावजूद भी इस बात को खुले मन से बेहिचक स्वीकार करना पड़ता है कि कोई भी नुस्खा 100 फीसदी लोगों पर 100 फीसदी सफल नहीं होता है। जिसके भी अनेक कारण होते हैं।

उदाहरणार्थ किसी भी व्यक्ति को किसी भी तकलीफ में मिलने वाला स्वास्थ्य लाभ इस बात पर निर्भर करता कि उसका शरीर औषधि तत्व के साथ कितने समय में प्रतिक्रिया-React करता है।

उदाहरणार्थ किसी भी व्यक्ति को किसी भी तकलीफ में मिलने वाला स्वास्थ्य लाभ इस बात पर निर्भर करता कि उसका शरीर औषधि तत्व के साथ कितने समय में प्रतिक्रिया-React करता है।

पीड़ितों का डाइजेशन सिस्टम यानी पाचन तंत्र, इम्यूनिटी सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र, उनकी सोने, जागने, खाने, पीने और नशा करने की आदतें, उनके दैनिक जीवन में गृह कलह, यौन असंतोष, मानसिक आघात, घुटन, असंतोष, तनाव, गुस्सा, अवसाद, दबाव, अनियमित माहवारी, रक्ताल्पता, ब्लड प्रेशर, और वंशानुगत बीमारियों, कैमीकलयुक्त दुष्प्रभावी दवाइयों के सेवन का इतिहास साथ ही पॉल्यूशन यानी प्रदूषण.

विटामिन, प्रोटीन, फैट्स/वसा, कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन आदि के स्तर की भिन्नता। आमतौर पर ये सब बातें किसी भी व्यक्ति की अस्वस्थता की मूल वजह और उसकी हेल्थ केयर का आधार भी हो सकती हैं। अत: किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ होने या नहीं होने में ये सभी बातें बाधक और, या सहायक हो सकती हैं। इसलिए मुझे से वाट्सएप पर सम्पर्क करने वाले दमा पीड़ितों के बारे में विस्तार से लक्षणात्मक जानकारी प्राप्त करके मैं उन्हें उक्त नुस्खा तथा अन्य

आदिवासी जड़ी बूटियां उपलब्ध करवाने की यथासम्भव कोशिश करता रहा हूं,

लेकिन खेद है कि अभी तक मैं लार्ज स्केल यानी बड़े स्तर पर अपना यह अनुभवसिद्ध नुस्खा पीड़ितों को उपलब्ध करवाने की स्थिति में नहीं हूं। जिसकी सबसे बड़ी वजह है-दुर्लभ और ऑर्गेनिक आदिवासी जड़ी बूटियों की जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में अनुपलब्धता। यद्यपि मेरी कोशिश है कि कुछ विश्वसनीय मित्रों के सहयोग से मैं जल्दी ही वांछित ऑर्गेनिक आदिवासी जड़ी बूटियां जरूरत के अनुसार प्राप्त कर सकूं। उसके बाद यह नुस्खा दमा पीड़ितों को पब्लिकली उपलब्ध करवाया जा सकेगा। यही कामना है कि हम सब पर प्रकृति की कृपा बनी रहे और हम सफल हों।

आज 1 सितम्बर, 2020 को जनहित में सार्वजनिक किया जा रहा है कि मूल रूप से उक्त नुस्खे में, मैं निम्न ऑर्गेनिक आदिवासी जड़ी बूटियों का उपयोग करता हूं:-

आज 1 सितम्बर, 2020 को जनहित में सार्वजनिक किया जा रहा है कि मूल रूप से उक्त नुस्खे में, मैं निम्न ऑर्गेनिक आदिवासी जड़ी बूटियों का उपयोग करता हूं:-

अपामार्ग
कटकरंज
खूबकला
तुलसी काली
तुलसी सफेद
पीपल
पीपिड़
वासा
शरपुंखा
स्वर्णक्षीरी
हरसिंगार
हुलहुल
इत्यादि।

उपरोक्त आदिवासी जड़ी बूटियों का पाउडर बनाने से पहले इनमें स्वर्णक्षीरी एवं शरपुंखा के रस की तीन भावनाएं देनी जरूरी होती हैं। इसके बाद ही नुस्खा पूर्ण असरकारी होता है। इस आलेख को पढ़ने वाले पाठकों में जिन्हें ऑर्गेनिक आदिवासी जड़ी बूटियों का परिपक्व अनुभव तथा ज्ञान है और जो कोई भी सतत समर्पित परिश्रम करने में संकोच नहीं करते, वे अपने घर पर भी इसे तैयार कर सकते हैं।

उपरोक्त के अलावा दमा पीड़ित व्यक्ति के लक्षणानुसार जरूरी होने पर अन्य कुछ ऑर्गेनिक आदिवासी जड़ी बूटियों का भी सेवन करवाया जाता है।

इनके साथ-साथ लक्षणानुसार कुछ होम्योपैथिक एवं बायोकेमिक औषधि तत्वों का भी सेवन जरूरी होता जाता है।अभी तक मैं केवल मुझ से हेल्थ केयर हेतु वाट्सएप (8561955619) पर व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करने वाले दमा पीड़ितों को ही यह पाउडर उपलब्ध करवा पा रहा हूं। खेद है कि यह पाउडर अभी तक व्यापार हेतु उपलब्ध नहीं है।

विनम्र निवेदन: मुझे खेद है कि समयाभाव के कारण मैं जहां-तहां सोशल मीडिया पर इस आलेख के नीचे कमेंट्स करने वाले जिज्ञासु विद्वान पाठकों के सवालों के जवाब नहीं दे सकूँगा। जिन्हें वाकयी कोई जानकारी या मेरी सेवायें चाहिये 8561955619 पर मुझे वाट्सएप कर सकते हैं, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि इस वाट्सएप पर कोई भी मुझे अनावश्यक/फॉर्मल मैसेज, इमेज और सामग्री भेजकर डिस्टर्ब नहीं करेंगे।

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