Amitabh Pandey
व्हाट्सअप ज्ञानी यह सवाल करते हैं कि “आख़िर हमारे सनातनी ऋषियों को बिना दूरबीन के 9 ग्रहों के बारे में कैसे पता चल गया था?”
ग्रह 9 नहीं हैं। अब आधिकारिक तौर पर आठ ग्रह हैं। इनके अलावा 12 बौने ग्रह हैं, 175 से ज्यादा चंद्रमा हैं । करोड़ों छुद्रग्रह और अरबों धूमकेतु हैं । सूर्य और चंद्र ग्रह नहीं बल्कि तारा और उपग्रह हैं ।
राहु और केतु न तो ग्रह हैं और न ही उपग्रह हैं, बल्कि आभासी बिंदु हैं जहां पृथ्वी का परिक्रमा पथ चंद्र के परिक्रमा पथ को काटता है तो अगर अमावस या पूर्णिमा के दिन चंद्रमा भी इन्हीं दो में से किसी एक बिंदु पर आ जाता है तो सूर्य या चंद्र ग्रहण होगा।
यह बात आर्यभट ने सबसे पहले आर्यावर्त में 1500 साल पहले बताई थी लेकिन सारे के सारे पोंगापंडित इस बात पर आर्यभट के खिलाफ होगए थे।
अंत में आठ क्लासीकल प्लेनेट्स में से बुध, शुक्र, पृथ्वी (जिसपर हम रहते हैं), मंगल बृहस्पति और शनि इत्यादि कोरी आंखों से ही दिखते हैं।
यूरेनस नेपचून को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत पड़ती है इसलिए दूरबीन की खोज होने के पहले किसी ज्योतिषाचार्य ,गुनिया ,ओझा ,औलिया या किसी नजूमी को इनके होने का अंदाजा भी नहीं था।
अरे हाँ एक बात और यूरेनस नेपचून का नाम अरुण वरुण भी नहीं है। वरुण एक बौना ग्रह है जिसे राबर्ट मेकमिलन ने सन 2000 में खोजा था !