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रूस में राष्ट्रपति पद के लिए 2024 में होने वाले चुनाव में व्लादिमीर पुतिन के पुन: जीतने की प्रबल संभावनाओं के बावजूद विपक्ष के नेताओं ने उनका मुकाबला करने और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का संकल्प लिया है। रूस में विपक्ष के नेताओं का मानना है कि मतदाता भले ही किसी को भी वोट दें, विजेता पुतिन ही होंगे, लेकिन वे उन्हें मिलने वाले व्यापक जन समर्थन को कमजोर करने की कोशिश करेंगे और यह दिखाएंगे कि यूक्रेन पर हमले का विरोध करने वाले लोग अकेले नहीं हैं।
जेल में बंद विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी ने सलाखों के पीछे से जारी एक ऑनलाइन बयान में कहा कि वह यह लड़ाई लड़ेंगे। पुतिन ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि वह देश के शीर्ष पद के लिए 2024 में होने वाला अगला चुनाव भी लड़ेंगे। पुतिन ने इस घोषणा से छह साल के एक और कार्यकाल के लिए अपनी इच्छा जाहिर कर दी है, जिसमें उनका जीतना तय माना जा रहा है। विपक्ष के अधिकतर नेता या तो जेल में बंद हैं या देश से बाहर चले गए हैं। कुछ लोग इस बात से सहमत हैं कि चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने की कोशिश का कोई औचित्य नहीं है।
पुतिन के राष्ट्रपति बनने की राह करेंगे मुश्किल
नवलनी के शीर्ष रणनीतिकार लियोनिद वोल्कोव के अनुसार, विपक्ष के नेता चुनाव प्रचार अभियान में पुतिन और उनकी सरकार के बारे में अपने विचारों को रखने की कोशिश करेंगे क्योंकि यह एक ऐसा समय होगा, जब ‘‘रूसी लोग सामान्य से अधिक राजनीतिक रूप से सक्रिय होंगें।’’ वोल्कोव और उनके दल ने ‘नवलनीज कैंपेनिंग मशीन’ नामक एक परियोजना शुरू की। इसके तहत अधिक से अधिक रूसी नागरिकों से फोन के जरिए या ऑनलाइन बात करने की कोशिश की जाएगी और उन्हें पुतिन के खिलाफ करने का प्रयास किया जाएगा।
एक अन्य विपक्षी ताकत ‘एंटी-वार कमेटी’ की भी ‘नो टू पुतिन’ मुहिम शुरू करने की योजना है। यह कमेटी व्यवसायी मिखाइल खोदोरकोव्स्की, शतरंज के दिग्गज गैरी कास्पारोव, पूर्व सांसद से विपक्षी नेता बने गेन्नेडी गुडकोव और उनके बेटे दिमित्री गुडकोव जैसे पुतिन के आलोचकों को एकजुट करती है। (एपी)
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