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बीजेपी में तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के पद को लेकर मंथन हो रहा है तो कांग्रेस में हार को लेकर मंथन हो रहा है। लेकिन हार की वजह की जड़ में जाने की बजाय कांग्रेस सारा ठीकरा EVM पर फोड़ रही है। गुरुवार को भोपाल में राज भवन से कुछ दूरी पर कांग्रेस ने काफी ड्रामा किया। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और विधायक फूल सिंह बरैया डमी EVM मशीन लेकर आए थे। इन लोगों ने इस डमी EVM पर कालिख पोत दी। वैसे कालिख तो कांग्रेस नेता फूल सिंह बरैया के मुंह पर लगी और सबसे मजेदार बात ये है कि उन्होंने खुद अपने चेहरे पर काला रंग लगवाया। दरअसल, फूल सिंह बरैया ने ऐलान किया था कि अगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 50 से ज्यादा सीटें आ गईं तो वो अपने मुंह पर खुद कालिख लगाएंगे। बीजेपी 150 से ज्यादा सीटें जीत गई। इसके बाद फूल सिंह बरैया ने कहा कि उन्होंने एक बार जो वादा किया, उसे वो पूरा करते हैं। हालांकि मुंह पर काला रंग लगाने से पहले उन्होंने लंबा-चौड़ा भाषण दिया और बताया कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। बरैया ने तो अपना पूरा चेहरा काला करने का वादा किया था और शायद वो ऐसा करते भी, लेकिन बीच में दिग्विजय सिंह आ गए। दिग्विजय सिंह ने कहा कि बरैया अपना वादा पूरा करने को तैयार हैं, ये बहुत बड़ी बात है लेकिन कांग्रेस के लोग उनका चेहरा काला नहीं होने देंगे। दिग्विजय ने अपने हाथ से फूल सिंह बरैया के चेहरे पर काले रंग से 2-3 टीके लगाए और कहा कि ये टीके उन्हें नज़र लगाने से रोकने का काम करेंगे।
दिग्विजय सिंह ने बरैया को तो पूरा चेहरा काला नहीं करने दिया लेकिन बरैया के समर्थन में कांग्रेस से जुड़े किसान नेता ने जरूर अपने चेहरे पर कालिख पोती। ग्वालियर के युवा कांग्रेस नेता योगेश दंडोतिया ने खुद अपने चेहरे पर काला रंग लगाया। दंडोतिया ने भी ये ऐलान किया था कि अगर बीजेपी 50 से ज्यादा सीट जीत गई तो वो खुद अपने चेहरे पर कालिख लगाएंगे। कांग्रेस के नेताओं ने अपने चेहरे पर ये जो कालिख लगाई है वो तो धोने से उतर जाएगी लेकिन कांग्रेस के चेहरे पर हार की जो कालिख लगी है, उसके दाग इतनी जल्दी नहीं मिटेंगे। सबसे खास बात ये है कि हार के दाग मिटाने के तरीके खोजने की बजाए कांग्रेस एस्केप रूट तलाश रही है। हार पर मंथन करने की बजाए EVM को दोष दे रही है। रायपुर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल किया कि जब जब EVM को लेकर कांग्रेस सवाल करती है, तो बीजेपी के नेता क्यों चिढ़ जाते हैं। बघेल ने पूछा कि चुनाव के नतीजे आये 6 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक बीजेपी अपने मुख्मंत्रियों का चयन क्यों नही कर पा रही है। कांग्रेस को इस बात की बड़ी चिंता है कि बीजेपी ने अभी तक तीन राज्यों में मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाए। कांग्रेस के नेताओं को इस बात की भी परेशानी है कि मीडिया ने इसपर सवाल क्यों नहीं उठाए। बीजेपी के नेताओं को इस देरी से कोई परेशानी नहीं है। बीजेपी के किसी नेता ने कोई सवाल नहीं उठाया लेकिन कांग्रेस अपनी हार में भी मजा ले रही है।
कांग्रेस को बीजेपी में घमासान दिखाई दे रहा है। उन्हें लगता है कि वसुंधरा राजे ने मोदी को आंख दिखाई, शिवराज के आगे मोदी मौन हो गए, और रमन सिंह ने मोदी का अमन भंग कर दिया, यही दर्शाता है कि कांग्रेस न मोदी को समझ पाई है और न ही बीजेपी के नेताओं को। ज़रा सोचिए, आज की तारीख में बीजेपी के किस नेता की हिम्मत होगी की वो मोदी को आंख दिखाए। आंख तो अशोक गहलोत ने दिखाई थी राहुल गांधी को, हाईकमान की लाख कोशिश के बाद भी उन्होंने मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ा। आंख तो कमलनाथ दिखा रहे हैं कि उनसे प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने को कहा गया है पर वो डटे हुए हैं। इसीलिए इस मामले में मीडिया को दोष देना ठीक नहीं है। ये सही है कि तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन सबको पता है कि एक दो दिन में फैसला हो जाएगा और जो फैसला होगा उसपर कोई चूं भी नहीं करेगा। तीनों राज्यों में अभी तक किसी नेता ने मुख्यमंत्री पद का दावा नहीं किया है। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत होते ही कई दावेदार मीडिया के सामने आकर खड़े हो गए। कांग्रेस के नेताओं को याद होगा कि हिमाचल प्रदेश में तो दो गुटों ने अपने अपने समर्थकों के साथ कैमरों के सामने शक्ति प्रदर्शन किया था। इसीलिए घमासान और टकराव की हेडलाइंस बनी। कांग्रेस को कड़वाहट छोड़कर इस बात पर मंथन करना चाहिए कि तीन राज्यों में उसकी जीत के दावे गलत क्यों हुए। जनता ने मोदी की गारंटी को क्यों स्वीकार किया? EVM का मुंह काला करने की बजाय ये सोचें कि तेलंगाना में इसी EVM ने कैसे जिताया। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 दिसंबर, 2023 का पूरा एपिसोड
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