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योग गुरु स्वामी रामदेव ने दावा किया है कि आयुर्वेद से डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर और थॉयरॉयड जैसी बीमारियों का स्थायी इलाज संभव हैं, इन्हें जड़ से खत्म किया जा सकता है जबकि एलौपैथी में ऐसे मरीजों को जीवन भर दवाइयां खानी पड़ती हैं। एलौपेथी में इनका कोई स्थायी इलाज नहीं हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि उन्होंने साइंटिफिक रिसर्च के आधार पर असाध्य रोगों की दवाएं तैयार की है। इन दवाओं से जिन करोड़ों लोगों का इलाज किया है, उनका डेटाबेस भी स्वामी रामदेव के पास है। उनके पास पूरा रिकॉर्ड है। पतंजलि के रिसर्च पेपर दुनिया भर के बड़े बड़े journals में छापे गए हैं। बुधवार को स्वामी रामदेव ने कहा कि जब भी ज़रूरत होगी वो ये सारे प्रमाण, डेटाबेस के साथ सुप्रीम कोर्ट के सामने रखने को तैयार हैं, वो लाइलाज बीमारियों से ठीक हो चुके मरीजों की परेड भी कराने को तैयार हैं। असल में ये सारी बात इसलिए सामने आई क्योंकि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी रामदेव से कहा कि अगर उनके विज्ञापनों में कोई गलत दावा किया गया है तो उसे तुरंत बंद कर दें वरना हर विज्ञापन पर एक-एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगेगा। स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथिक दवाईयां बनाने वाली दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां उनके पीछे पड़ी हैं, वे जानबूझ कर आयुर्वेद के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही हैं क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं और योग से ऐसी बीमारियां जड़ से खत्म हो रही हैं जिनका इलाज एलोपैथी में नहीं हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि लाखों करोड़ रुपए के कारोबार वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुनाफाखोरी के चक्कर में आयुर्वेद को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं लेकिन वह अन्तिम सांस तक सच की लड़ाई लड़ेंगे। स्वामी रामदेव ने कहा कि जो चाहे उनके दावों की जांच कर सकता है, अगर कोई एक व्यक्ति भी उनके दावे को झूठा साबित कर दे तो वो फांसी की सजा के लिए तैयार हैं।
स्वामी रामदेव ने एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि एलोपैथी में बीमारियों से अस्थायी राहत तो मिल सकती है लेकिन आयुर्वेद में बीमारियों को जड़ से खत्म करने की ताकत है, एलोपैथी जिन बीमारियों को लाइलाज मानती है, उन बीमारियों के शिकार लोगों को स्वामी रामदेव ने आयुर्वेदिक उपचार से पूरी तरह ठीक कर दिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत कुछ संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इल्जाम लगाया था कि स्वामी रामदेव बिना साइंटिफिक रिसर्च के, बिना लैब टेस्टिंग के और बिना प्रोटोकॉल और दूसरे प्रक्रियाओं का पालन किए तमाम बीमारियों को ठीक करने का झूठा दावा करते हैं। इसी बात से नाराज़ स्वामी रामदेव ने दवा कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन झूठे इल्जाम बर्दाश्त नहीं करेंगे, मुनाफे के चक्कर में लोगों को जबरदस्ती दवाएं खिलाने वाली कंपनियों के सामने नहीं झुकेंगे। स्वामी रामदेव ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब पतंजलि के प्रोडक्ट्स पर सवाल उठाए गए हों। उन्होंने कहा कि कभी जानवरों की हड्डियों की राख दवाओं में मिलाने का आरोप लगाकर, तो कभी आयुर्वैदिक दवाओं के असर पर सवाल उठाकर पतंजलि को बदनाम करने की साजिश होती रही है। रामदेव ने दावा किया कि पतंजलि आयुर्वेद के हर प्रोडक्ट्स पूरी साइंटिफिक रिसर्च के बाद ही तैयार किए जाते हैं, प्री- और पोस्ट-क्लिनिकल टेस्ट और सारे साइंटिफिक प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। अन्तरराष्ट्रीय जर्नल्स में भी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है लेकिन कुछ बड़ी दवा कंपनियों और उनसे मिले हुए डॉक्टर लगातार पतंजलि के खिलाफ काम कर रहे हैं। स्वामी रामदेव इतने ज्यादा तैश में इसलिए थे क्योंकि मंगलवार को ये खबर फैलाई गई कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन में किए गए दावों को गलत पाया और इस तरह के विज्ञापन बंद न करने पर हर विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई फैसला नहीं दिया है।
हुआ ये था कि पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पिटीशन पर सुनवाई हुई। पिटीशन में IMA ने पतंजलि आयुर्वेद पर एविडेंस बेस्ट मेडिसन और एलोपैथिक मेडिकल साइंस के खिलाफ दुष्प्रचार का इल्जाम लगाया। इसके साथ साथ ICMR यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और फॉर्मा इंडस्ट्री के संगठनों ने इल्जाम लगाया था कि पतंजलि के प्रोडक्ट्स को लेकर झूठे दावे किए जा रहे हैं। इस केस की सुनवाई के दौरान दो जजों की बेंच ने कहा कि ये गंभीर मामला है लेकिन इसे एलोपैथी बनाम आर्युवेद का रंग देना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों में दावे गलत हैं तो पतंजलि ऐसे विज्ञापनों को तुरंत बंद कर दे वर्ना हर विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के लिए 5 फरवरी 2024 की तारीख दे दी। कोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया लेकिन कोर्ट की टिप्पणी को फैसले के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया। इसी बात ने स्वामी रामदेव को नाराज कर दिया। स्वामी रामदेव प्रेस कांफ्रेंस में रिसर्च पेपर, लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट्स के साथ सामने आये, साथ ही उनकी दवाओं से असाध्य रोगों से ठीक हुए लोगों को भी कैमरों के सामने खड़ा कर दिया। स्वामी रामदेव ने कहा कि उन्होंने आयुर्वेद और योग की मदद से उन लोगों की डायबिटीज भी ठीक दी जो इंसुलिन पर थे। इस वक्त भारत में हर पन्द्रहवां व्यक्ति डायबिटीज का शिकार है। डायबिटीज के मरीजों की संख्या करीब आठ करोड़ है। हर साल देश में बीस हजार करोड़ रूपए की डायबिटीज की दवाओं की बिक्री होती है। डायबिटीज़ की दवा एक बार शुरू हो गई तो ज्यादातर मामलों में जिंदगी भऱ बंद नहीं होती क्योंकि एलोपैथी में इसका कोई स्थायी इलाज नहीं हैं। लेकिन स्वामी रामदेव का दावा है कि आयुर्वेद से डायबिटीज़ ठीक हो सकती है, शरीर में इन्सुलिन दोबारा बन सकता है। उन्होंने कई मरीजों की ठीक किया है। डायबिटीज़ के अलावा ब्लड प्रेशर और थायरॉयड की समस्या भी आजकल हर घर में हैं। ये बीमारियां भी ऐसी हैं जिनका एलोपैथी में कोई स्थायी इलाज नहीं हैं। इस वक्त दुनिया भर में बीपी के 128 करोड़ मरीज हैं और इनमें सबसे ज्यादा करीब 19 करोड़ मरीज़ भारत में हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि आयुर्वेद में बीपी का भी इलाज है और थायरॉयड का भी। उन्होंने इन बीमारियों के मरीजों को ठीक किया है। इस वक्त दुनियाभर में जो सबसे बड़ी बीमारी है, वो है मोटापा। ये ऐसी बीमारी है जो दूसरी तमाम बीमारियों को जन्म देती है। मोटापे के शिकार सबसे ज्यादा लोग अमेरिका में हैं। दूसरे नंबर पर भारत है जहां साढ़े तेरह करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं। दुनिया भर में मोटापे से मुक्ति पाने के चक्कर में सबसे ज्यादा खर्च होता है। लेकिन हकीकत ये है कि एलोपैथी में मोटापे का कोई इलाज नहीं हैं। स्वामी रामदेव ने कहा कि योग और आयुर्वेद मोटापे से भी मुक्ति दिलाता है। सारे सबूत सामने रखने के बाद स्वामी रामदेव ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में खुद जाएंगे, सारे सबूत दिखाएंगे और उन्हें पूरी उम्मीद है कि जीत सच की होगी, जीत आयुर्वेद की होगी।
मैं स्वामी रामदेव को कई साल से जानता हूं। कोरोना के काल में उन्होंने इंडिया टीवी पर जो शो शुरू किया था उससे करोड़ों लोगों को फायदा हुआ। आज भी बड़े बड़े लोग योग के इस शो को रोज देखते हैं। मैं ऐसे कई मरीजों से मिला हूं जिनके असाध्य रोग, स्वामी रामदेव के योग और दवाओं से ठीक हुए हैं। कई बार लोग जब हर जगह से निराश हो जाते हैं तो स्वामी रामदेव को याद करते हैं, उनके पास जाते हैं, पतंजलि के योग ग्राम में इलाज कराते हैं। मैं ये नहीं कहता कि सारे के सारे मरीज बिल्कुल ठीक हो जाते हैं लेकिन ऐसे लोगों की तादाद लाखों में है, जिनकी डायबिटीज़ और थायरॉयड की दवा स्वामी रामदेव के इलाज से छूट गई। कई ऐलोपैथिक डॉक्टर भी इस बात को मानते हैं कि योग और आयुर्वेद से लाइलाज बीमारियों का इलाज हो सकता है। दूसरी तरफ स्वामी रामदेव भी मानते हैं कि किसी भी इमरजेंसी में, या ऑपरेशन कराने के लिए ऐलोपैथी आयुर्वेद के मुकाबले ज्यादा कारगर है। मैं भी मानता हूं कि ऐलोपैथी ने पूरी दुनिया में लोगों की जान बचाने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसीलिए आयुर्वेद और एलोपैथी में टकराव नहीं होना चाहिए, ये एक दूसरे के पूरक हैं। हमारी चिंता मरीज के इलाज से होना चाहिए, इस बात से नहीं कि उपचार आयुर्वेद से हुआ या एलोपैथी से। स्वामी रामदेव की ये बात सही है कि उनके सस्ते इलाज से फार्मा कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ता है। आज हमारे देश में एलोपैथिक दवाओं का कारोबार करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए का है। ये सिर्फ दवाओं का कारोबार है। मेडिकल इक्यूपमेंट्स, अस्पताल, डॉक्टर और ऑपरेशन का खर्च अलग। इसीलिए उनकी चिंता भी वाजिब है। लेकिन हमारे देश में लोगों को आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों की ज़रूरत है। कई जगह तो होम्योपैथी भी बहुत कारगर साबित होती है। सिर्फ पैसा कमाने के लिए, बिजनेस चलाने के लिए, आयुर्वेद को बदनाम करने से, स्वामी रामदेव को बदनाम करने से, किसी का भला नहीं होगा। स्वामी रामदेव ने योग और आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के लिए, साइंटिफिक रिसर्च के लिए, लोगों को सस्ता इलाज देने के लिए जो काम किया है, उसकी सराहना होनी चाहिए। माफिया तो हर जगह सक्रिय रहते हैं, एलोपैथी में भी और आयुर्वेद में भी। उनके खिलाफ सब को मिलकर लड़ना चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 22 नवंबर, 2023 का पूरा एपिसोड
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