मणिपुर में म्यांमार सीमा के पास संदिग्ध उग्रवादियों ने की पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या

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मणिपुर में म्यांमार सीमा के पास संदिग्ध उग्रवादियों ने की पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या

एसडीपीओ चिंगथम आनंद कुमार (फाइल फोटो)

इंफाल (मणिपुर):

मणिपुर में म्यांमार सीमा के पास संदिग्ध उग्रवादियों ने एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना तेंगनौपाल जिले के मोरेह की है. यहां एक उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) की हत्या कर दी गई. संदिग्ध उग्रवादियों ने पुलिस अधिकारी पर उस वक्त हमला किया, जब वो मोरेह के ईस्टर्न शाइन स्कूल मैदान में एक हेलीपैड के प्रस्तावित निर्माण स्थल की निगरानी कर रहे थे. इस हमले में एसडीपीओ चिंगथम आनंद कुमार घायल हो गए. उन्हें तुरंत इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उन्होंने गोली लगने से दम तोड़ दिया.

मणिपुर सरकार के सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारी की पेट में गोली लगी थी. वरिष्ठ पुलिस और अर्ध-सैन्य अधिकारियों के नेतृत्व में अतिरिक्त सुरक्षा बल इलाके में पहुंच गए हैं और उग्रवादियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है.

मोरेह के एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने का अनुरोध करते हुए एनडीटीवी को फोन पर बताया कि गोली के घाव से संकेत मिलता है कि पुलिस अधिकारी को काफी दूर से किसी बड़े कैलिबर वाले निशानेबाज या स्नाइपर राइफल से गोली मारी गई थी. अधिकारी ने कहा कि पुलिस तुरंत जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकी, क्योंकि जिस दिशा में सटीक गोली चली, वहां नागरिक इमारतें हैं.

सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सुरक्षा बलों ने खतरे को बेअसर करने के लिए इलाके में एक अभियान चलाया है.

मामले से परिचित लोगों ने कहा कि राज्य बलों और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से बनाए जा रहे हेलीपैड का उपयोग राज्य बलों के परिवहन के लिए किया जाएगा, क्योंकि राज्य की राजधानी इंफाल से मोरेह तक की सड़क कई स्थानों पर उपद्रवियों द्वारा अवरुद्ध कर दी गई है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि वह पुलिस अधिकारी की “नृशंस हत्या से बहुत दुखी हैं. लोगों की सेवा और सुरक्षा के प्रति उनके समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.”

आपातकालीन कैबिनेट बैठक के बाद, मणिपुर सरकार ने बयान में कहा कि वो “कड़े शब्दों में इस कायरतापूर्ण कृत्य की निंदा करती है.” क्योंकि मई में हुई जातीय हिंसा के बाद पूरे मणिपुर में समुदाय लगभग दो महीने से शांति लाने के लिए संयम बरत रहे हैं.

मणिपुर सरकार ने बयान में कहा कि उसने पुलिस अधिकारी के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मंजूरी दी है.

खुशमिजाज़ पुलिस अधिकारी थे आनंद

आनंद के सहकर्मियों ने कहा कि वे उन्हें एक खुशमिजाज़ पुलिस अधिकारी के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने सीमावर्ती शहर में स्थानीय लोगों के साथ अच्छा तालमेल बनाए रखा, जहां म्यांमार के जुंटा, विद्रोहियों, लुटेरों और मादक पदार्थों के तस्करों से भागने वाले अवैध अप्रवासियों और शरणार्थियों का लगातार दबाव है.

मणिपुर पुलिस कमांडो का एक छोटा दस्ता, जो 3 मई की हिंसा के बाद से मोरे में तैनात है, को अब सुदृढीकरण के साथ मजबूत किया जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि हालांकि, शरारती तत्वों द्वारा सड़कों को अवरुद्ध करने के कारण सीमावर्ती शहर में बीएसएफ और पुलिस कर्मियों को भेजना आसान नहीं है, एक बड़े हेलीपैड की आवश्यकता महसूस की गई और इसलिए इसे बनाने का निर्णय लिया गया.

मणिपुर सरकार ने आज कैबिनेट बैठक के बाद बयान में कहा कि वर्ल्ड कुकी-ज़ो इंटेलेक्चुअल काउंसिल नामक संगठन के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई है, जिसने 24 अक्टूबर को एक बयान जारी कर स्वयंसेवकों से पूछा था

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कहा है कि वह पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा का फायदा उठाने के लिए बांग्लादेश, म्यांमार और मणिपुर में छिपे आतंकवादी समूहों से जुड़ी एक कथित अंतरराष्ट्रीय साजिश की जांच कर रही है.

सुरक्षाकर्मियों को हटाने की मांग के बीच घटना

ये घटना कई नागरिक समाज संगठनों, विशेषकर मोरेह स्थित संगठनों द्वारा सीमावर्ती शहर से सुरक्षाकर्मियों को हटाने की मांग किए जाने के कुछ सप्ताह बाद हुई है. मणिपुर पुलिस ने लोगों द्वारा छोड़े गए घरों से पिछले कुछ दिनों में फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान चुराने तथा अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने के आरोप में म्यांमार के 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मई में राज्य में हिंसा भड़कने के दौरान जलाए गए घरों से फर्नीचर और बिजली का सामान चुराने के आरोप में 21 अक्टूबर को म्यांमार के तीन लोगों की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था, ‘ये तब हुआ जब कुछ विशेष संगठन मोरेह शहर में राज्य पुलिस और कमांडो की तैनाती का विरोध कर रहे हैं.’

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