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पटना: राजधानी पटना के बाढ़ अनुमंडल क्षेत्र स्थित बेढ़ना गांव निवासी अमन आनंद (Aman Anand) ने 66वीं बीपीएससी परीक्षा पास करने के बावजूद टॉपर बनने का लक्ष्य लेते हुए 67वीं बीपीएससी परीक्षा में भाग लिया और स्टेट टॉपर बन गए. अमन आनंद ने रविवार को एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने बताया कि वो एक मामूली शिक्षक के बेटा हैं. उनके पिता के दो संतान हैं एक अमन आनंद और एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है. अमन ने बताया कि बीपीएससी से मेरा लक्ष्य पूरा हो चुका है. मैं चाहता था कि कम से कम एसडीएम का पद मिले और अब मुझे एसडीएम का पद मिल जाएगा, लेकिन मैं कोशिश करूंगा कि यूपीएससी में भी भाग लूं.
66वीं बीपीएससी परीक्षा में सफल हुए थे अमन
अमन ने बताया कि यूपीएससी में भी हमने कई बार कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली है इसलिए हम बीपीएससी पर विशेष ध्यान दे रहे थे अब यूपीएससी पर ज्यादा ध्यान देंगे. यूपीएससी में अच्छी सफलता मिली तो इस पद को भी त्याग देंगे. वहीं, अमन के पिता बबलू सिंह दिल्ली सरकार में शिक्षक हैं और पिछले 20 वर्षों से दिल्ली में ही रह रहे हैं. अमन आनंद ने बताया कि उनका सपना था कि वह एक बड़ा अफसर बने. दिल्ली में रहते हुए भी उन्हें गांव से हमेशा लगाव रहा और पहली बार उसने बिहार लोक सेवा आयोग के 66वीं बीपीएससी परीक्षा में भाग लिया. इस परीक्षा में उन्हें 52 रैंक मिला, जिसके बाद वह डीआरडीओ के पद पर मधुबनी में ट्रेनिंग कर रहे हैं.
बीपीएससी अभ्यर्थियों को अमन ने दिया टिप्स
अमन आनंद ने बीपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि आप एक लक्ष्य बनाइए, अगर आप लक्ष्य बनाते हैं और उस पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं तो निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी. उसने बताया कि यह कोई जरूरी नहीं है कि आप 10 घंटे 12 घंटे या 15 घंटे पढ़ाई करें, आप 2 घंटे भी पढ़ाई कर सकते हैं, 3 घंटे भी पढ़ाई कर सकते हैं. मैं कभी-कभी पढ़ाई नहीं भी करता था. 3 घंटे 4 घंटे से ज्यादा देर तक मैं किताब के पास नहीं बैठता था, लेकिन मेरा ध्यान केंद्रित रहता था कि मुझे कुछ करना है, मैं खाली समय में भी उसी के बारे में सोचता था और लक्ष्य को कैसे पूरा किया जाए इसका मैं मंथन करता था.
अमन के टॉप होने पर पूरे इलाके में खुशी का माहौल
आगे बीपीएससी के टॉपर ने बताया कि हमारे पिता की जो सैलरी मिलती है उसी से हम दोनों भाई-बहन की पढ़ाई हुई है. मेरी बहन डॉक्टर बनी है और मैं अभी शादी नहीं किया हूं. पिता अपनी सैलरी का 75% हम दोनों भाई-बहन की पढ़ाई में लगा देते थे. मैं अपने पिता के कष्ट को देखा हूं. हालांकि गांव में खेती है, लेकिन हम लोगों ने खेती पर ध्यान नहीं दिया. यह बात है कि मैं बीच-बीच में गांव आते रहता हूं. वहीं, अमन के स्टेट टॉपर होने से उसके परिवार ही नहीं पूरे इलाके में खुशी का माहौल बना हुआ है. शनिवार की शाम से ही उसके दोस्त और आसपास के लोग उससे मिलने आ रहे हैं. उसे मिठाइयां खिला रहे हैं उसे आशीर्वाद दे रहे हैं.
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