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Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद प्रत्याशी टिकट के लिए दिल्ली और जयपुर की तरफ दौड़ लगा रहे हैं तो पार्टियां भी गठबंधन कर चुनाव के दंगल में जीत का गणित बैठाने में लगी हैं. जहां एक तरफ कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन की चर्चाएं हैं वहीं हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी का गठबंधन विधानसभा के चुनाव लड़ने के लिए हो गया है.
दरअसल, आरएलपी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन प्रदेश का सियासी समीकरण बदल सकता है. अगर राजस्थान में जाट और दलित मतदाता एक हो जाते हैं तो बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. वहीं साल 2018 के चुनाव में भी राष्ट्रीय लोकदल का कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर लोकदल से चुनाव लड़े डॉ. सुभाष गर्ग की जीत हुई थी.
जाट और दलित मतदाता को एक करने की सियासत
राजस्थान में जाट समुदाय का लगभग 40 सीटों पर सीधा असर रहता है. राजस्थान में कुल आबादी का 10 प्रतिशत मतदाता जाट समुदाय से आता है. राजस्थान में 18 प्रतिशत के लगभग दलित मतदाता है. राजस्थान विधानसभा की 200 सीट में से 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 142 सीट सामान्य वर्ग के लिए है. अगर दलित मतदाता और जाट मतदाता का आपस में गठबंधन हो जाता है तो यह आने वाले विधानसभा का चुनावी समीकरण बदल सकते है.
बीजेपी-कांग्रेस की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
दोनों ही नेता जाट मतदाता और दलित मतदाताओं को एक कर सियासत में अपनी मजबूत भागीदारी बनाने की कोशिश में लगे हैं. इसलिए दोनों पार्टियों का गठबंधन सफल होता है और जाट और दलित मतदाताओं को एक मंच पर लाकर चुनाव लड़ता है तो बीजेपी और कांग्रेस का गणित बिगड़ सकता है.
रोहिताश शर्मा आजाद समाज पार्टी से लड़ेंगे चुनाव
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और आजाद समाज पार्टी ऐसे मजबूत नेताओं को अपना प्रत्याशी बना रहे हैं, जो साल 2018 के विधानसभा चुनाव में काफी मजबूती के साथ चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे. आजाद समाज पार्टी ने बानसूर से बीजेपी के दिग्गज नेता रोहिताश शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. रोहिताश शर्मा बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं प्रदेश में बीजेपी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां के खिलाफ बयानबाजी के कारण उनको बीजेपी से निष्काषित किया हुआ है इसलिए वो अब आजाद समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
भरतपुर जिले के सात विधानसभा सीटें हैं, जिनमें नगर विधानसभा सीट से नेम सिंह फौजदार वर्ष 2008 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. पिछले चुनाव में नेम सिंह फौजदार दूसरे नंबर पर रहे थे और साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली थी और नेम सिंह फौजदार को उम्मीद थी की सर्वे के आधार पर बीजेपी टिकट नेम सिंह फौजदार के देगी लेकिन बीजेपी ने अपना प्रत्याशी जवाहर सिंह बेढ़म को बनाया है.
बिगड़ सकता है खेल
वहीं आजाद समाज पार्टी ने नेम सिंह फौजदार को अपना प्रत्याशी बनाया है. नगर विधानसभा से नेम सिंह मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं. इस बार दलित वोट आने की उम्मीद के चलते वह इस विधानसभा सीट पर सबसे मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं. नगर विधानसभा सीट पर 50 हजार मुस्लिम मतदाता, 45 हजार गुर्जर मतदाता और 40 हजार जाट मतदाता हैं. यहां 36 हजार अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और आजाद समाज पार्टी के गठबंधन से जाट और दलित एक हो जाते हैं तो आजाद समाज पार्टी का प्रत्याशी नेम सिंह मजबूती के साथ बीजेपी और कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकता है.
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