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Shri Krishna Janmbhoomi: मथुरा (Mathura) की श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Masjid) विवाद में दाखिल जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में आज (11 अक्टूबर) खारिज कर दी गई. इस जनहित याचिका में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई थी. आज दोपहर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के जस्टिस की डिवीजन बेंच के अनुसार इसी तरह की मांग को लेकर कई मुकदमे दाखिल किए गए हैं. जिनके पेंडिंग होने के आधार पर इस नई याचिका को खारिज कर दिया गया है.
एक जैसे डेढ़ दर्जन सिविल सूट पेंडिंग होने पर याचिका खारिज
जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि तकरीबन ऐसी ही मांग को लेकर डेढ़ दर्जन सिविल सूट यानी मुकदमे हाईकोर्ट में अभी भी पेंडिंग हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगी कि इन मुकदमों की सुनवाई अयोध्या विवाद की तर्ज पर सीधे तौर पर हाईकोर्ट में होगी या फिर मथुरा की ट्रायल कोर्ट में सुनवाई होगी.
2020 में दाखिल की गई थी याचिका
बताया जा रहा है कि इस जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट के वकील महक महेश्वरी ने साल 2020 में दाखिल किया था. फिलहाल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जब ओरिजिनल सूट ही पेंडिंग है तो ऐसे मामले में जनहित याचिका पर फैसला नहीं दिया जा सकता है. ऐसे में हाईकोर्ट ने इसी टेक्निकल ग्राउंड पर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.
याचिका में की थी विवादित परिसर में पूजा अर्चना की मांग
बता दें कि इस जनहित याचिका के तहत कोर्ट में मुकदमे का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की भी मांग की गई थी. जनहित याचिका में दावा किया गया है कि विवादित परिसर पहले मंदिर था, जिसे तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया. बताया जा रहा है कि जिस जगह अभी मस्जिद है वहां द्वापर युग में कंस ने भगवान श्री कृष्ण के माता पिता को कैद कर रखा हुआ था.
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