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नई दिल्ली : दिल्ली सेवा बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग के मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के सासंद राघव चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि रूल बुक कहता है कि सलेक्ट कमेटी में किसी का नाम देने के लिए ना तो हस्ताक्षर और कंसेंट की जरूरत ही नहीं है। मैं बीजेपी के नेताओं को चुनौती देता हूँ कि वो कागज दिखाओ जिसमे किसी का हस्ताक्षर किया हुआ हो। राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि बीजेपी मेरे खिलाफ झूठ फैला रही है।
प्रस्ताव के लिए साइन की जरूरत नहीं- राघव चड्ढा
जब किसी सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार समिति कोई कार्रवाई शुरू करती है तो वह शख्स उसपर कोई पब्लिक स्टेटमेंट नहीं देता है लेकिन मजबूरन मुझे बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए आना पड़ा। मैं सिर्फ रूल के बारे में यहां बात करूंगा। रूल बुक में लिखा है- किसी भी सेलेक्ट कमेटी के लिए कोई भी सांसद नाम प्रस्तावित किया जाता है। न उसका साइन चाहिए न उसकी लिखित सहमति चाहिए। इस रूल बुक में कहीं नहीं लिखा है कि प्रस्तावित मेंबर का साइन चाहिए। राघव चड्ढा ने कहा कि जब भी नाम प्रस्तावित किए जाते हैं तो न साइन लिए जाते हैं। फर्जी साइन की बात बेबुनियाद और झूठी है। मैं बीजेपी नेताओं को चुनौती देता हूं कि वो कागज दिखाएं जिस पर किसी पर गलत तरीके से साइन लिया गया हो।
विशेषाधिकार समिति ने राघव चड्ढा को नोटिस जारी किया
आपको बता दें कि संसद की विशेषाधिकार समिति ने राघव चड्ढा को नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। राघव चड्ढा पर दिल्ली सेवा बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने के लिए सांसदों के फर्जी साइन करने का आरोप है। आरोप यह है कि राघव की ओर से दिल्ली सेवा बिल सेलेक्ट कमेटी को भेजने वाले प्रस्ताव में सस्मित पात्रा, नरहरि अमीन, थंबीदुरई, सुधांशु त्रिवेदी व नगालैंड के राज्यसभा सांसद फांगनोन कोन्याक का नाम शामिल किया गया।
इनमें से कुछ सांसदों ने सोमवार रात सदन की कार्रवाई के दौरान बताया कि उन्होंने इस पर हस्ताक्षर ही नहीं किए हैं। अगर विशेषाधिकार समिति की जांच में राघव चड्ढा 5 सांसदों के नाम गलत तरीके से इस्तेमाल करने के दोषी जाते हैं तो उनकी सांसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश विशेषाधिकार समिति कर सकती है।
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