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पटना32 मिनट पहले
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शिक्षक संघ द्वारा विभाग के आदेश का विरोध किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग द्वारा आए दिन नए आदेश जारी किया जा रहे है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बीते दिन या आदेश जारी किया था कि कोई भी शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य में अब भाग नहीं लेंगे। लेकिन जैसे ही हाई कोर्ट की तरफ से यह आदेश आया कि बिहार में अब जातीय गणना होगी। उसके बाद अब शिक्षा विभाग की ओर से यह आदेश आ गया कि सभी शिक्षक अब विद्यालयों में लंच आवर के बाद जातिगत गणना करेंगे।
ऐसे में विभिन्न शिक्षक संघ ने इसको लेकर अब सवाल उठाना शुरू कर दिया है। शिक्षक संघ की ओर से कहा गया है कि केके पाठक ने खुद ही कहा था कि कोई भी शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करेंगे। अब ऐसे में किसके दबाव के कारण अपर मुख्य सचिव केके पाठक को अपना आदेश बदलना पड़ा है।
इसके अलावा संघ की ओर से यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि अगर शिक्षक जातीय गणना करेंगे तो फिर आने वाले दिनों में बीपीएससी परीक्षा की तैयारी कैसे करेंगे। शिक्षकों को जबरन फेल कराने की शिक्षा विभाग की यह साजिश है।
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने इसको लेकर कहा है कि एक तरफ जहां लगातार निरीक्षण करके विद्यालय व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। शिक्षकों को जातीय गणना जैसे कार्यों में लगाना शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बिल्कुल विपरीत है। जातीय जनगणना करने से जितने भी नियोजित शिक्षकों ने बीपीएससी परीक्षा का फॉर्म भरा है उन्हें अब तैयारी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार के फैसलों और शिक्षकों को गणना कार्य में लगाए जाने का संघ विरोध करता है।
बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह।
वही बिहार टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने बताया कि जितने भी शिक्षक हैं। अगर वह अपनी हक के लिए आवाज उठाते हैं तो उन्हें निलंबित कर दिया जाता है। अब गणना और अन्य गैर शैक्षणिक कार्य कराने होते हैं तो शिक्षकों का ही उपयोग किया जाता है। यह आदेश एक विभागीय लापरवाही है। 31 जुलाई को अपर मुख्य सचिव पत्र जारी करते हैं कि शिक्षकों को कोई गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करना है। अब फिर 1 अगस्त को निर्देश जारी होता है कि शिक्षक जाति गणना कार्य करेंगे। ऐसे में वह जानना चाहते हैं कि जाति गणना कार्य किस प्रकार से शैक्षणिक कार्य है।
सरकार ने इससे पहले भी शिक्षकों से काफी सारे गैर शैक्षणिक कार्य करा चुकी है।
अमित विक्रम ने आगे बताया कि सरकार ने इससे पहले भी शिक्षकों से काफी सारे गैर शैक्षणिक कार्य कराए हैं। जैसे कि पशु गणना, शौचालय गणना, कोरोना के समय कोरोना के समय मरीजों की गणना।
वहीं इस साल पिछले 7 महीने में जनवरी महीने में शिक्षकों ने मकानों की गणना की, फरवरी में मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा करा रहे थे। मार्च में मूल्यांकन कर रहे थे। अप्रैल में जातीय गणना कार्य कर रहे थे। मई-जून गर्मी की छुट्टी थी। जुलाई में उन्हें चुनाव के लिए मास्टर ट्रेनर का काम दिया गया और अगस्त में एक बार फिर से होने जातीय गणना कार्य में लगा दिया गया है। ऐसे में शिक्षक अब विद्यालय में कब पढ़ाएंगे।
जातिगत गणना जैसे कार्य में लगाने से बीपीएससी परीक्षा की तयारी कैसे करेंगे शिक्षक।
अमित विक्रम ने आगे कहा कि बहुत सारी नियोजित शिक्षकों ने भी इस परीक्षा के लिए फॉर्म भरा है और अगर वह जातीय गणना करेंगे। तो फिर बीपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी कैसे करेंगे। यह शिक्षक यदि फेल हो जाते हैं तो इनके ऊपर बीपीएससी फेल शिक्षक होने का ठप्पा लग जाएगा। समाज में उन्हें फिर बीपीएससी फेल शिक्षक के नाम से जाना जाएगा। यह निर्णय पूरी तरह से शिक्षक समाज के सम्मान के खिलाफ है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने सीएम, शिक्षा मंत्री और एसीएस के के पाठक को लिखा पत्र।
वही इसको लेकर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना संबंधी कार्य प्रारंभ होने के साथ ही अपर मुख्य शिक्षा सचिव ने राज्य के सभी जिला पदाधिकारियों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से अलग रखने का आदेश दिया था। लेकिन उसकी स्याही अभी सूखी भी नहीं थी और फिर तुरत उक्त आदेश को पलट दिया गया और फिर पुनः विद्यालय में पढ़ाई-लिखाई के बन रहे माहौल को प्रभावित कर दिया गया। यह शिक्षक, शिक्षा विरोधी आदेश है।
आप इस तथ्य से भी अवगत है कि लोक सभा चुनाव की तैयारी प्रारंभ हो चुकी है और फिर विधान सभा चुनाव भी दस्तक दे रहा है। यानि 2025 तक शिक्षकों को पढ़ाई से सरकार ने अलग रखने की तैयारी कर ली है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य कराने की सख्त मनाही है। वही माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश को वापस लेने को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग की एसीएस के के पाठक को पत्र लिखा है।
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