राहुल गांधी की दो साल की सजा रहेगी बरकरार, गुजरात हाईकोर्ट ने कहा- पहले से 10 क्रिमिनल केस, कोई अन्याय नहीं हो रहा

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rahul gandhi- India TV Hindi

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गुजरात हाईकोर्ट से राहुल गांधी को लगा बहुत बड़ा झटका

गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा को निलंबित करने की रिव्यू याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। राहुल गांधी की याचिक को ख़ारिज करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के जज ने कहा कि उनके खिलाफ 10 क्रिमिनल केस पहले से ही हैं। इस सज़ा से उनके साथ कोई अन्याय नहीं हो रहा है।

गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल पर की सख्त टिप्पणी


जज ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा कि उनके (राहुल) खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। मौजूदा केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस दर्ज हुए हैं। ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। किसी भी केस में दोषसिद्धि से कोई अन्याय नहीं होगा। ये दोषसिद्धि न्यायसंगत और उचित है। कोर्ट के पिछले आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए ये आवेदन खारिज किया जाता है।

राहुल की अगले 6 साल तक संसद में नहीं होगी वापसी

हाईकोर्ट से राहुल को इस बड़े झटके का मतलब है कि राहुल की संसद में फिलहाल वापसी नहीं होगी। यानी कि 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगी रहेगी। बता दें कि मोदी सरनेम मानहानि केस में गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। राहुल ने मोदी सरनेम वालों पर एक चुनावी रैली में आपत्तजिनक बयान दिया था। जिस पर केस हुआ और राहुल को सज़ा मिली। इसी सज़ा की वजह से राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई और अगले 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई।

राहुल गांधी के पास बचे अब दो ही विकल्प

लोअर कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। जजमेंट सिंगल बेच से आया है। अगर हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट का फैसला बदलदेता और राहुल की सज़ा कम कर देता या सजा पर रोक लगा देता तो उनकी लोकसभा की सदस्यता वापस बहाल हो जाती, लेकिन हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत से मिली सज़ा बरकरार रखी लिहाजा राहुल की लोकसभा की सदस्यता ना तो बहाल हो पाई और साथ ही वो अगले छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। आज कोर्ट से मिले झटके के बाद राहुल गांधी के पास 2 और ऑप्शन हैं। एक तो वो हाईकोर्ट की बड़ी बेंच के सामने अपील कर सकते हैं। वहां भी हार मिलने पर उनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प मौजूद है।

 

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