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पटनाएक घंटा पहले
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आरजेडी की स्थापना दिवस के लिए लगा पोस्टर।
लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का आज 27 वां स्थापना दिवस है। वीरचंद पटेल पथ स्थित पार्टी कार्यालय में इसे मनाया जा रहा है। लालू प्रसाद के असली राजनीतिक वारिस और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी मामले में चार्जशीट दायर किया है। इसके बाद भाजपा का दबाव है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री पद से हटाएं।
आरजेडी की वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि तेजस्वी पद से इस्तीफा नहीं देंगे। तेजस्वी पर चार्जशीट के बाद पहली बार लालू प्रसाद का भाषण होगा इसलिए लोगों की उत्सुकता है कि लालू प्रसाद का गुस्सा कैसा रहता है! हालांकि वे देश की राजनीति के ऐसे नेता हैं जिन्होंने कई तरह के झंझावात झेला है।
5 जुलाई 1997 को राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना की गई थी। 1997 से लालू प्रसाद यादव लगातार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। पार्टी कार्यालय को सजाया गया है। पार्टी ने पटना के कई चौक-चौराहों पर तोरण द्वार लगाए हैं। कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए हैं।
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू यादव। फाइल फोटो
इनके समय फाइल खुली थी
लालू प्रसाद ने जब आरजेडी का गठन किया था उस समय वे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और बिहार के मुख्यमंत्री भी। बड़ी बात यह कि तब उनकी ही पार्टी के नेता प्रधानमंत्री थे। उसी दौर में सीबीआई ने चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने का फैसला लिया। चारा घोटाले में लालू प्रसाद की संलिप्तता की सीबीआई जांच की फाइल अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार के समय खुली थी लेकिन उसे आगे बढ़ाया पीएम एचडी देवगौड़ा की सरकार ने। आगे गुजराल पीएम हुए।
रामकृष्ण हेगड़े ने सुझाया था नाम
चारा घोटाला में सीबीआई की चार्जशीट के बाद लालू प्रसाद पर दबाव बढ़ने लगा था। जनता दल के अंदर और बाहर दोनों तरफ से। जनता दल का अध्यक्ष पद तो उन्हें छोड़ना ही था साथ ही, मुख्यमंत्री पद से भी हटना था। लालू प्रसाद ने एक साथ दोनों राजनीतिक चालें चलीं। पांच जुलाई 1997 की सुबह बिहार सदन में लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के गठन का ऐलान कर दिया। उनके नेतृत्व में पार्टी के 22 सांसदों में 16 सांसद शामिल हुए और छह राज्यसभा के सांसदों ने भी लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व को स्वीकार किया। समाजवादी नेता रामकृष्ण हेगड़े की सलाह पर लालू प्रसाद ने नई पार्टी का नाम रखा राष्ट्रीय जनता दल। इसके बाद लालू प्रसाद ने दूसरी चाल चलते हुए मुख्यमंत्री का पद तो छोड़ा लेकिन अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवा दिया। बिहार को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलीं। दिलचस्प यह कि तब पीएम गुजराल ने राष्ट्रीय जनता दल के तीन मंत्रियों को नहीं हटाया। नई पार्टी राष्ट्रीय जनता दल संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा नहीं थी, लेकिन उनकी पार्टी के तीन मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह और जय नारायण निषाद केन्द्र सरकार में बने रहे।
दिल्ली के बिहार निवास में हुआ पार्टी का गठन
आरजेडी का मसौदा तैयार करने वालों में तीन लोगों की ड्राफ्ट कमेटी बनी थी। रामचंद्र पूर्व कन्वेनर थे। चित्तरंजन गगन और वकील शकील अहमद खां मेंबर थे। चित्तरंजन गगन कहते हैं कि लालू प्रसाद अध्यक्ष थे, शरद यादव कार्यकारी अध्यक्ष थे। लालू प्रसाद का प्रभाव 1995 को लोकसभा चुनाव और विधान सभा चुनाव में शानदार जीत से बढ़ गई थी। उसके बाद से लालू प्रसाद को हटाने के लिए साजिश होने लगी। साजिश में कई बड़े नेता शामिल थे। उसके बाद लालू प्रसाद ने अलग पार्टी बनाने का फैसला लिया गया। बिहार निवास दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया गया। एक बड़े समारोह में गठन की घोषणा हुई। आरजेडी का ड्राफ्ट बनाते समय सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और गांधी-लोहिया- कर्पूरी- अंबेडकर के आदर्श के अनुसार ड्राफ्ट तैयार किया गया।
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