पाकिस्तान के 'स्विटजरलैंड' पर तालिबान ने जमाया कब्जा, अब यहीं बनाएगा आतंकी कैंप, फिर शुरू होगी एक दशक पुरानी दहशत

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 Taliban returns to pakistan Khyber Pakhtunkhwa Swat Valley- India TV Hindi

Image Source : AP PHOTO/EBRAHIM NOROOZI
खैबर पख्तूनख्वा की स्वात घाटी पर तालिबान का कब्जा

पाकिस्तान की खैबर पख्तूनख्वा की स्वात घाटी पर तालिबान का दोबारा कब्जा हो गया है। ‘पाकिस्तान मिलिट्री मॉनिटर’ ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने बहुत तेजी से स्वात में कब्जा जमाया है। ये आतंकी संगठन बहुत जल्द ही इस खूबसूरत घाटी में अपने टेरेर कैम्प बना सकते हैं। बता दें कि पाकिस्तान की स्वात घाटी को स्विटजरलैंड ऑफ पाकिस्तान भी कहा जाता है।

पाक के स्विटजरलैंड में लगेंगे आतंकी कैंप 

स्वात घाटी में हाल ही में पुलिस अधिकारियों और नागरिकों की हत्या करने वाले हाल के बम धमाकों के बाद से घाटी में दहशत और अनिश्चितता का माहौल है। लोगों को इस बात का डर है कि ये संगठन घाटी पर कब्जा कर सकते हैं और अपने आतंकी शिविर स्थापित कर सकते हैं। लोगों को डर है कि पाकिस्तान का स्विटजरलैंड तालिबान के कब्जे के बाद पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। ‘द पाकिस्तान मिलिट्री मॉनिटर’ के अनुसार, मुल्ला फजलुल्लाह और उसके तालिबान कमांडरों ने लगभग 15 साल पहले जो अत्याचार किए, उसे याद करते हुए, यह हैरानी की बात नहीं है कि किसी का दिमाग इस तरह की दहशत से ग्रस्त हो सकता है।

स्वात में 640 स्कूल नष्ट किए, यहीं हुआ था मलाला पर हमला 
स्थानीय लोग मिंगोरा सिटी और ग्रीन स्क्वायर के बीच के क्षेत्र को “खूनी चौराहा” कहते हैं, क्योंकि तालिबान यहां अपने दुश्मनों के सिर लटकाते थे। नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई इसी जगह पर तालिबान की क्रूरता का शिकार हुई थीं। यहां लड़कियों के स्कूलों पर विस्फोट आम बात थी। स्वात और आसपास के जिलों में कुल 640 स्कूल नष्ट कर दिए गए। तालिबान लड़कियों की शिक्षा, संगीत बजाने और किसी भी तरह की कला जैसे नृत्य करने के खिलाफ फरमान जारी करने के लिए रेडियो प्रसारण का इस्तेमाल करता था। तालिबान इस तरह के किसी भी काम को ईशनिंदा मानता था। 

दहशत से भरी स्वात घाटी की हवा
‘द पाकिस्तान मिलिट्री मॉनिटर’ के अनुसार, एक दशक पहले, सैकड़ों हजारों स्वात निवासी विस्थापित हुए थे, जिन्हें सरकार का समर्थन नहीं था। उनकी संपत्ति, उम्र या लिंग की परवाह किए बिना, सभी को अपना घर छोड़ना पड़ा था। उस दौरान पेशावर के स्वाबी, मर्दन, चारसद्दा और आसपास के इलाकों में लोगों ने उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिए। लक्षित हत्याएं, जबरन वसूली, बम विस्फोट, बुनियादी ढांचे को नष्ट करना, अपहरण और ब्लैकमेलिंग और ना जाने क्या-क्या, स्वात घाटी की हवा दहशत से भरी हुई है। शांति समुदाय के सदस्यों का शिकार किया जा रहा है।

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