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Ajit Pawar in Saamana: महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से चर्चा जोरों पर थी कि अजित पवार कुछ विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. कुछ दिन पहले अजित पवार और अमित शाह की मुलाकात की खबर भी सामने आई लेकिन अजित पवार ने इस खबर का भी खंडन कर दिया. अजित पवार को लेकर एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी ने भी अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता तक दे दिया, लेकिन सभी अटकलों पर उस समय विराम लग गया जब खुद अजित पवार ने कह दिया कि वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगे. वो एनसीपी के हैं और मरते दम तक एनसीपी में ही रहेंगे.
‘उद्धव गुट में मुखपत्र सामना में किया खुलासा’
अजित पवार के पुरे मामले पर उद्धव ठाकरे गुट ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में विस्तार से लिखा है. मुख्यपत्र ‘सामना’ में छपी एक लेख में कहा गया है कि, पिछले चार दिनों से मीडिया पर यह खबर चल रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि चार दिन पहले अजित पवार नागपुर के महाविकास आघाड़ी (MVA) की बैठक में मौजूद थे. उसी शाम वे उद्धव ठाकरे के साथ एक ही विमान से मुंबई वापस आए. मुंबई में उतरते ही वे उद्धव ठाकरे के साथ खारघर स्थित ‘महाराष्ट्र भूषण’ कार्यक्रम में हुई दुर्घटना में लू से बीमार हुए लोगों से मिलने अस्पताल पहुंचे.
कैसा था अजित पवार का व्यवहार?
‘सामना’ में कहा गया है, अजित पवार का बरताव-बोलना और व्यवहार एकदम सामान्य है और यह इस बात का संकेत है कि सब कुछ ठीक-ठाक है. खुद अजित पवार ने अब इससे साफ इनकार कर दिया है. अजित पवार ने अब मीडिया के सामने आकर घोषित किया, ‘मेरे बारे में बेवजह अफवाहें न फैलाओ. मैं कहीं नहीं जा रहा. आखिरी सांस तक राष्ट्रवादी में ही रहूंगा.’ अजित पवार मंगलवार की सुबह विधान भवन स्थित अपने कार्यालय गए और वहां उनकी पार्टी के विधायक उनसे मिलने पहुंचे. इसमें नया क्या है? अजित पवार विधायक दल के नेता हैं और पार्टी का अधिकांश काम वही देखते हैं.
स्वाभिमानी हैं अजित पवार
अजित पवार को स्वाभिमानी स्वभाव के रूप में जाना जाता है. उनका स्वभाव कठोर है. उन्हें गलत बर्दाश्त नहीं होता. इसलिए वे बुरे लोगों के साथ नहीं जाएंगे. वर्तमान मुख्यमंत्री के कारण महाविकास आघाड़ी सरकार चली गई, लेकिन बीजेपी के लिए अब ‘शिंदे’ गुट बिन काम का बोझ बन गया है, इसलिए इस बोझ को कैसे फेंका जा सकता है, इस पर दिल्ली और महाराष्ट्र में काम चल रहा है. बीजेपी के पास अपना कुछ नहीं है.
बीजेपी पर लगाए ये आरोप
दूसरे दलों के लोगों को उधार लेकर वे अपनी पार्टी चला रहे हैं. कभी शिवसेना तो कभी राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़कर खुद का घर भरना. कांग्रेस पर भी उनकी बुरी नजर है. धमकियों, दबाव और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग ने महाराष्ट्र सहित देश में लोकतंत्र और कानून के राज को ही नष्ट कर दिया है. अजित पवार के मामले में अफवाह और चर्चाओं को तूल देकर उन्होंने ही माहौल खराब करने का काम किया.
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