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Congress on Delhi Budget: दिल्ली सरकार 21 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 का अपना बजट पेश करने जा रही है. उससे पहले 20 मार्च को दिल्ली सरकार की तरफ से वित्त मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) ने आउटकम बजट पेश किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार के किये गए और किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी. वित्त मंत्री ने पिछले बजट में घोषित की गई योजनाओं के विकास और कार्यान्वन को लेकर ब्यौरा पेश किया, जिस पर भी विपक्षी पार्टियां उन्हें घेरती नजर आई.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली सरकार देश की पहली सरकार है, जो अपने किये गए कामों की जानकारी और प्रशंसा स्वयं ही आउटकम बजट के तहत करती है. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार विभिन्न क्षेत्रों में विकास और बेहतरी हर साल बजट को करोड़ों रुपये बढ़ा कर पेश करती है, इसके बावजूद दिल्ली की हालत बदहाल बनी हुई है. उन्होंने पूछा कि क्या भ्रष्टाचार करने और दूसरे राज्यों में चुनाव के खर्चों की भरपाई करने के लिए हर साल बजट में करोड़ों रुपये की बढ़ोतरी की जाती है. आंकड़ा पेश करते हुए उन्होंने कहा कि 2021-22 का बजट 69 हजार करोड़ था, जिसे 22-23 में बढ़ा कर 75 हजार 800 करोड़ कर दिया गया था और इस वर्ष का बजट 80 हजार करोड़ होने की उम्मीद है.
मौहल्ला क्लिनिक को लेकर क्या कहा?
पिछले बजट को लेकर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 20 लाख रोजगार सृजन करने का लक्ष्य रखा था, जिसका आउटकम बजट में वित्त मंत्री ने कोई जिक्र नहीं किया. आज दिल्ली बेरोजगारी में विश्व में पहले स्थान पर है. वहीं उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के क्षेत्र में 124 योजनाओं में से 54 फीसदी के ट्रैक पर होने का जिक्र किया. जिसमें मोहल्ला क्लिनिक में किये जा रहे इलाजों का ब्यौरा पेश किया गया, जबकि सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गयी, जो दिल्ली सरकार की नाकामी दर्शाती है.
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरा
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा मॉडल की दुहाई देने वाली दिल्ली सरकार के आउटकम बजट में 63 योजनाओं में 71 फीसदी के ट्रैक पर होने का दावा किया गया. जबकि हकीकत ये है कि दिल्ली में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. वहीं उन्होंने दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी में अधिक फीस की वजह से खाली पड़ी 2500 सीटों की तरफ भी उंगली उठाई. इसके अलावा दिल्ली में प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में केजरीवाल सरकार को विफल बताया. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के आउटकम बजट में बताया गया कि पर्यावरण और फारेस्ट क्षेत्र की 43 फीसदी योजनाएं ही ट्रैक पर है, जो साबित करता है कि दिल्ली सरकार ने इसे लेकर कारगर कदम नहीं उठाए. यही वजह है कि दिल्ली, दुनिया की चौथी सबसे प्रदूषित शहर है. अंत मे उन्होंने दिल्ली सरकार की सभी नाकामियों का कारण उनके भ्रष्टाचार को बताया.
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