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नागालैंड विधानसभा चुनाव में सात सीट पर जीत दर्ज करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) राज्य में एनडीपीपी-भाजपा सरकार में शामिल होगी। इसका ऐलान आज पार्टी की तरफ से किया गया। पार्टी ने राज्य की 12 सीट पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिनमें से सात सीटों पर उसे सफलता मिली। इससे पहले विधायकों की बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई और सरकार के साथ जाने का फैसला लिया गया। बाद में इस फैसले से पार्टी अध्यक्ष शरद पवार को अवगत कराया गया।
वहीं एनसीपी के इस फैसले को लेकर विपक्षी खेमे में हलचल तेज हो गई है। ऐसी आवाजें उठ रही हैं कि बीजेपी का विरोध करनेवाली पार्टी नागालैंड में कैसे उस सरकार का समर्थन करने जा रही है जिसमें बीजेपी शामिल है। ऐसा माना जा रहा है कि इससे विपक्षी की एकजुटता को झटका लग सकता है। क्योंकि शरद पवार 2024 में विपक्ष को एकजुट करने की बात कर रहे हैं।
एनसीपी
नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफ्यू रियो ने नगालैंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पांचवें कार्यकाल के लिए मंगलवार को शपथ ली। राज्यपाल ला गणेशन ने 72 वर्षीय रियो को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। एनडीपीपी के टी आर जेलियांग और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वाई पैटन को राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। रियो के मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी शपथ ली।
जदयू जद(यू) ने पार्टी की नगालैंड इकाई को भंग किया
जनता दल (यू) के केंद्रीय नेृतृत्व ने अपने दल की नगालैंड इकाई द्वारा राज्य में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन सरकार को समर्थन देने को बुधवार को “उच्च अनुशासनहीनता” और “मनमाना” बताया और राज्य इकाई को भंग कर दिया। जद (यू) के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ” हमारी पार्टी के नगालैंड राज्य अध्यक्ष ने जद (यू) के केंद्रीय नेतृत्व से परामर्श किए बिना नगालैंड के मुख्यमंत्री को समर्थन पत्र दिया है जो उच्च अनुशासनहीनता और मनमाना कदम है। इसलिए जद (यू) ने नगालैंड में पार्टी की राज्य समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।” उल्लेखनीय है कि जद (यू) ने नगालैंड की 60 सदस्यीय विधानसभा के हाल में हुए चुनाव में एक सीट हासिल की थी। माना जा रहा है कि जद (यू) के शीर्ष नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी पार्टी की नगालैंड इकाई के इस कदम से फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने पिछले साल भाजपा से नाता तोड़ लिया था।
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