Lok Sabha Election: बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को अलवर सीट से बनाया उम्मीदवार, क्या कांग्रेस ललित यादव पर लगाएगी दांव?

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Rajasthan Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान के अलवर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया है. बाहुल्य मानी जाने वाली इस सीट पर अब कोंग्रेस भी यादव प्रत्याशी को मैदान में उतारने वाली है. इसके लिए भले ही आधिकारिक घोषणा नहीं की हो, लेकिन मुंडावर विधायक ललित यादव के नाम का अनौपचारिक ऐलान तो सामने आ चुका है. अब भपेंद्र यादव के सामने क्या-क्या चुनोतियां होगी ये देखना होगा.

क्योंकि एक तरफ कांग्रेस के ललित यादव युवा नेता मौजूदा मुंडावर से विधायक हैं और इस विधानसभा चुनावों में 50 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. ललित यादव की क्षेत्र में मजबूत पकड़ है और युवाओं की फैन फॉलोइंग भी काफी तादाद में है. वहीं भूपेंद्र यादव बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. वह हरियाणा के रहने वाले हैं, लेकिन राजस्थान के अजमेर से उनकी शिक्षा हुई और दो बार राज्यसभा के सांसद राजस्थान से ही भेजे गए.अब अलवर में रोचक मुकाबला देखा जा रहा है.

पांंच सीटों पर है कांग्रेस का दबदबा 

अलवर जिले में 11 विधानसभा सीट आती हैं, हालांकि अब जिलों के बंटवारे के बाद वह कम हो गई हैं, लेकिन अलवर लोकसभा की अगर बात करें तो इसमे आठ विधानसभा आती हैं. बानसूर विधानसभा जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में आती है. वहीं थानागाजी विधानसभा दौसा लोकसभा क्षेत्र में और कठूमर विधानसभा भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है. इसके बाद जो शेष आठ विधानसभा वो अलवर लोकसभा में आती है. उनमें बहरोड, मुंडावर, किशनगढ़बास, तिजारा, अलवर शहर,अलवर ग्रामीण, रामगढ़ और राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ आती है. 

अब इस पर चर्चा करते हैं भाजपा प्रत्याशी भपेंद्र यादव के सामने क्या चुनौती रहने वाली है. फिलहाल इन आठ विधानसभा सीटों में तिजारा से महंत बालक नाथ योगी, बहरोड से डॉक्टर जसवंत यादव और अलवर शहर से संजय शर्म बीजेपी के विधायक हैं.

वहीं शेष पांच में अलवर ग्रामीण से टीकाराम जूली, रामगढ से जुबेर खान, राजगढ़ से मांगीलाल मीणा, किशनगढ़बास से दीपचंद खैरिया और मुंडावर से ललित यादव सहित पांच सीटो पर कोंग्रेस का कब्जा है. कोंग्रेस के सभी विधायक काफी अच्छे मतों से जीते हैं. वहीं बीजेपी प्रत्याशियो की जीत का अंतर कम रहा है.

क्या बीजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र यादव को होगा नुकसान? 

क्या भूपेंद्र यादव को बाहरी होने का नुकसान हो सकता है.. क्या अलवर लोकसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले यादव समाज दो भागों में बटेगा. इसमें कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव को स्थानीय का लाभ है तो वहीं भूपेंद्र यादव सिर्फ मोदी सरकार की तरफ से उनके दस सालों के किये गए कामों के दम पर वोट मांग रहे हैं. अलवर लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं के बाद दूसरी कौम में मुस्लिम और एससी एसटी आते हैं, जिसे कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है.

हालांकि बीजेपी का नारा इस बार 400 के पार और मोदी की गारंटी का प्रचार पूरे जोर शोर से किया जा रहा है, लेकिन इस बार कोंग्रेस भी कहीं महागठबंधन के सहारे तो कहीं बड़े नेताओं को चुनांव में उतार कर अपनी गिरती साख को बचाने के प्रयास में जुटी है. 

(जुगल गांधी की रिपोर्ट)

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