'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर क्या बोलीं विपक्षी पार्टियां, कमलनाथ बोले- इसके लिए राज्यों की मंजूरी भी जरूरी

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Image Source : PTI
विपक्षी गठबंधन की तस्वीर

I.N.D.I.A गठबंधन की तीसरी बैठक मुंबई में चल रही है। इस बैठक का आज दूसरा दिन है। इस बीच केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें 5 बैठकें होंगी। संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में कई अहम बिलों को पास किया जाएगा। इस बीच केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर एक कमेटी बनाई है। 5 दिनों के इस विशेष सत्र को लेकर संभावना जताई जा रही है कि सरकार संसद में इस बाबत विधेयक पेश कर सकती है। विपक्षी दलों में इसे लेकर हलचल है। विपक्षी नेता ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को भाजपा का षडयंत्र बता रहे हैं। 

वन नेशन, वन इलेक्शन पर क्या बोलीं प्रियंका चतुर्वेदी

इस बाबत बोलते हुए शिवसेना यूबीटी की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मोदी सरकार की सत्ता जाने के आखिरी पड़ाव पर है। इस कारण इस तरह के हथकंडे सरकार अपना रही है। उन्होंने कहा,  ‘पहले सरकार ने विशेष सत्र बुलाया। इंडिया अलायंस के डर से गैस सिलिंडर के दाम कम किए। अब असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए कमेटी बनाई।’ उन्होंने कहा कि शिवसेना उद्धव ठाकरे की पार्टी आपसे पूछती है कि महिला सुरक्षा को लेकर कमेटी कब बनाएंगे? भ्रष्टाचार के कई मुद्दों को लेकर कमेटी कब बनाएंगे? देश में अहम मसले हैं, उसको लेकर कमेटी कब बनाएंगे?

पृथ्वीराज चव्हाण ने भाजपा पर साधा निशाना

वन नेशन, वन इलेक्शन पर बोलते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि एक बात साफ है, सरकार अब पैनिक मोड में है। ध्यान भटकाने के लिए ये चीजें हो रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस विशेष सत्र को बुलाने की क्या जरूरत है। गणेश चतुर्थी उत्सव के बीच? क्या वे (केंद्र सरकार) हिंदू भावनाओं से अनजान हैं?’ उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि वह कहते हैं, “सरकार को कभी भी चुनाव कराने का अधिकार है। अगर वे समय से पहले लोकसभा चुनाव कराना चाहते हैं, तो करा सकते हैं। अगर वे कुछ विधेयक पारित कराना चाहते हैं तो उन विधेयकों के बारे में हमें बताएं।” 

कमलनाथ ने कही ये बात

एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि इसके लिए सिर्फ संविधान में संशोधन की ही नहीं बल्कि राज्यों की मंजूरी भी जरूरी है। हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे भाजपा शासित राज्यों में वे अपनी संबंधित विधानसभाओं को भंग करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तय कर सकते हैं और पारित कर सकते हैं। आप किसी राज्य की विधानसभा की अवधि कम नहीं कर सकते हैं। यह इस तरह काम नहीं करता है।

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