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पटनाएक घंटा पहले
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शहर के लोगों को सालों भर पक्षियों की चहचहाहट सुनने के लिए पटना से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। जलाशय में देश और राज्य के पक्षियों के ठहराव के लिए योजना बन रही है। जलाशय के आस-पास पेड़ पौधों की संख्या बढ़ाई जाएगी। जल में रहने वाले पक्षियों की संख्या बढ़ाने के लिए जलाशय का जलस्तर और छोटी-छोटी मछलियों की आबादी बढ़ाई जाएगी।
इससे पक्षियों को आसानी से भोजन मिल सकेगा। अक्टूबर से विदेशी पक्षी आने लगते हैं। राजधानी जलाशय 7 एकड़ में फैला है। अक्टूबर से दिसंबर में 5000 से अधिक देसी-विदेशी पक्षी यहां आते हैं। इन पक्षियों के संरक्षण के लिए राजधानी जलाशय को विकसित करने की योजना है।
पटना का राजधानी जलाशय
कौन-कौन विदेशी पक्षी आते हैं
इस जलाशय में साइबेरियन, गेडवॉल, नॉर्दर्न शोवलर, लेसर व्हिसिलिंग डक, कॉम्ब डक, लालसर, मूरहेन, कॉरमोरंट और पिनटेल जैसे पक्षी देखे गए हैं। ठंड के दिनों में यहां 70 से अधिक विभिन्न प्रजाति के पक्षी पहुंचते है। 100 विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे तालाब के चारों तरफ हैं। इन पेड़- पौधों से यहां की हरियाली मनोरम लगती है। जंगल जैसा नजारा होने के कारण यहां पक्षियों का बसेरा हमेशा रहता है।
विदेशी पक्षियों का आगमन अक्टूबर से हो जाता है शुरू
पटना में ट्रैफिक और आबोहवा प्रदूषित होने के बाद भी शहर के बीच स्थित राजधानी जलाशय में अक्टूबर से विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू जाता है। यहां 500 से ढाई हजार किमी की दूरी तय कर पक्षी आते हैं। मध्य एशिया तजाकिस्तान, साइबेरिया, लुगांडा, तुर्किस्तान, मंगोलिया व अफगानिस्तान को पार करके भारत आते हैं। पटना चिड़ियाघर के आसपास, मुजफ्फरपुर के सरैया कोठी, राजगीर के घोड़ा कटौरा में प्रवास करते हैं।
जल क्रीड़ा करती प्रवासी पक्षियां
जलाशय में 100 प्रजाती के पेड़, 70 प्रजाति के पक्षी हैं
शशिकांत कुमार, डीएफओ पार्क डिवीजन ने बताया कि अक्टूबर में राजधानी जलाशय के पक्षियों का सर्वे किया जाएगा। यहां देश- विदेश के पक्षियों का बसेरा है। अधिक से अधिक पक्षियों का ठहराव हो सके। इसकी प्रक्रिया चल रही है। पक्षियां यहां ज्यादा समय तक यहां ठहरें। उनके मिजाज के हिसाब से पेड़ पौधे, भोजन, पानी मिले इसके लिए विभाग काम कर रही रही।
प्रवासी पक्षियों के लिए उनके मन मुताबिक पेड़ पौधे लगाए जा रहे हैं। पानी का जल स्तर बढ़ाया जा रहा है। ताकि ये मेहमान पक्षी जल क्रीड़ा कर सकें। साथ ही साथ इन पक्षियों के खाने के लिए विभिन्न प्रकार की मछलियां तालाब में डाले जाएंगे ताकि इन पक्षियों को उनके हिसाब और टेस्ट के अनुसार खाना मिल सके। राजधानी जलाशय में 100 प्रजाती के पेड़ और 70 प्रजाती के पक्षी हैं।
पानी पर बैठी प्रवासी पक्षियां
बिहार में 6 बर्ड सेंचुरी
अभी तक बिहार में कुल 6 बर्ड सेंचुरी मौजूद हैं। इसमें बेगूसराय का कावर पक्षी विहार है। यह 64 किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1989 में हुई थी। यहां रूस, मंगोलिया तथा साइबेरियाई देशों से हजारों किमी की दूरी तय कर प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। जमुई में नक्टी पक्षी विहार है। इसकी स्थापना 1987 में हुई है इसका लगभग 2.06 वर्ग किमी में फैला हुआ है। कटिहार जिले में गोगाबिल पक्षी विहार है। यह क्षेत्रफल 217 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी स्थापना लगभग 1990 में हुई थी। इस पक्षी विहार में धनुषाकार झील है। जिसका नाम गोगाबिल है।
वहीं जमुई जिले में नगी पक्षी विहार है। इसका क्षेत्रफल लगभग 1.91 वर्ग किमी है। इसकी स्थापना 1987 में की गई थी। जबकि दरभंगा जिले में कुशेश्वर पक्षी विहार है। इसका क्षेत्रफल लगभग 100 वर्ग किमी है। यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा पक्षी विहार है। यहां साइबेरियाई प्रवासी पक्षी अक्टूबर माह में आने लगते हैं। बक्सर जिले का बक्सर पक्षी विहार, जिसका क्षेत्रफल लगभग 25 वर्ग किमी तक फैला हुआ है। यहां अक्टूबर माह में ‘लालशर’ नामक पक्षी कश्मीर से यहां प्रवास करने आते हैं, जो मार्च में फिर से कश्मीर की घाटियों में लौट जाते हैं।
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