रक्षाबंधन के दिन पहली बार खुले सभी सरकारी स्कूल:962 में से 13 बच्चे पहुंचे स्कूल, शिक्षकों ने कहा-आदेश वापस नहीं हुआ तो करेंगे आंदोलन

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पटना36 मिनट पहले

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बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है, जब आज रक्षाबंधन के दिन सभी सरकारी विद्यालय खुले हुए हैं। हालांकि स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति तो है, लेकिन बच्चों की उपस्थिति ना के बराबर है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस नए आदेश से स्कूलों में कितना प्रभाव पड़ा। इसी स्थिति को जानने आज दैनिक भास्कर की टीम पटना के कई स्कूलों में गई।

शिक्षा विभाग ने रक्षाबंधन, हरितालिका व्रत तीज, जिउतिया, विश्वकर्मा पूजा, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, भाई दूज, गुरु नानक जयंती जैसे कई त्योहारों पर छुट्टियां रद्द कर दी हैं। शिक्षक इससे काफी नाराज हैं।

आज बालक मध्य विद्यालय में शिक्षकों ने स्कूल खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश की प्रति को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर विभाग इस फैसले को वापस नहीं लेता है, तो आने वाले दिनों में हम लोग आंदोलन करेंगे।

962 में सिर्फ 13 बच्चे ही आए स्कूल

मिलर स्कूल उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य कुमारी सुधा ने कहा कि हमारे स्कूल में कुल 962 बच्चे हैं, सिर्फ 13 बच्चे ही स्कूल में उपस्थित हुए हैं। अमूमन 700 के करीब बच्चे स्कूल आते हैं। अचानक से इस तरीके का आदेश जारी हो जाने से थोड़ा दुख हुआ है।

हम सभी को उम्मीद है कि हो सकता है कि आने वाले दिनों में कुछ पॉजिटिव खबर निकल कर आए। मुझे खुद आज रक्षाबंधन के दिन कई जगह जाना था, लेकिन स्कूल होने के कारण मैं नहीं जा पाई।

स्कूल की शिक्षक गजालत ने कहा कि अचानक से इस तरीके का आदेश आना सही नहीं है। हम बिहारी लोग अपने त्योहार को ज्यादा इंपोर्टेंस देते हैं। ज्यादा बच्चे हमारे स्कूल में गांव के हैं तो वह लोग पहले ही अपने-अपने गांव चले गए।

बालक उच्च विद्यालय के प्राचार्य अजय किशोर प्रसाद ने शिक्षा विभाग के फैसले पर नाराजगी जताई।

बालक उच्च विद्यालय के प्राचार्य अजय किशोर प्रसाद ने शिक्षा विभाग के फैसले पर नाराजगी जताई।

छुट्टियों को रद्द करना और व्रजपात की तरह

बालक उच्च विद्यालय के प्राचार्य अजय किशोर प्रसाद ने बताया कि हमारे यहां अमूमन 200 से अधिक बच्चे हैं। आज सिर्फ 83 बच्चे ही स्कूल आए हैं। कुछ बच्चे राखी बंधवाकर आए हैं, तो कुछ बिना राखी बंधवाए ही आए हैं।

प्राचार्य ने बताया कि जहां तक छुट्टी रद्द करने की बात है तो इसमें सबसे ज्यादा परेशानी महिला शिक्षकों को हो रही है। अचानक से इस तरीके से छुट्टियां को रद्द करना हमारे ऊपर व्रजपात गिरने की तरह है।

शिक्षिका पूनम कुमारी ने बताया कि रक्षाबंधन के साथ-साथ जन्माष्टमी की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं। हम लोग जन्माष्टमी करते हैं। यह सब जानते हैं कि हम लोग 12 बजे पानी पीते हैं। यह बिलकुल ही गलत है।

हम लोगों के साथ बहुत ही गलत किया जा रहा है। तीज की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई है। स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बिल्कुल नहीं है। हमें तो आना पड़ रहा है, क्योंकि हम सरकार के बंधन से बंधे हुए हैं।

आदेश की प्रति को जलाकर शिक्षकों ने विरोध जताया।

आदेश की प्रति को जलाकर शिक्षकों ने विरोध जताया।

आदेश की प्रति जलाकर किया विरोध

शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए प्रति को जलाकर विरोध किया। बिहार अराजपति प्रांभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि सरकार का तानाशाही रवैया अब बर्दाश्त करने लायक नहीं है। इसे जबरदस्ती शिक्षकों पर थोपा जा रहा है। सबसे पहले इन्होंने कहा कि शिक्षक अब बोरा बेचेंगे।

सभी को मिड डे मील में लगाए हुए हैं। यह भी गैर शैक्षणिक काम ही है। हम लोगों को ही जनगणना के काम में लगाया गया। विद्यालय अब सरकारी कार्यालय बन चुका है। पढ़ाई छोड़कर बाकी सभी कार्यों में शिक्षकों को लगाया जा रहा है। अब शिक्षकों के लिए एक ही कार्य बचा है, शौचालय साफ करवाना और सड़क पर झाड़ू लगवाना।

शिक्षकों ने कहा- आदेश वापस नहीं लिया गया, तो करेंगे आंदोलन

शिक्षकों ने कहा- आदेश वापस नहीं लिया गया, तो करेंगे आंदोलन

आंदोलन की तैयारी में शिक्षक

शिक्षक काला बिल्ला लगाकर इस आदेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं शिक्षक संघ का कहना है कि आने वाले दिनों में अगर इस आदेश को वापस नहीं लिया गया, तो हम लोग आंदोलन भी करेंगे।

बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें रक्षाबंधन, हरितालिका व्रत तीज, जिउतिया, विश्वकर्मा पूजा, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, भाई दूज, गुरु नानक जयंती जैसे कई त्योहारों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

28 अगस्त से 31 दिसंबर तक सरकारी विद्यालयों में लगभग 23 छुट्टियां थीं, जिसे घटाकर शिक्षा विभाग ने 11 कर दिया है।

9 दिन की जगह, सिर्फ 4 दिन छुट्टी

दीपावली से छठ पूजा तक के लिए अब तक लगातार छुट्टियां रहती थीं। इस 9 दिन की छुट्टी को घटाकर सिर्फ 4 दिन का शिक्षा विभाग ने कर दिया है। दीपावली के दिन एक दिन की छुट्टी, चित्रगुप्त पूजा की एक दिन की छुट्टी और छठ के समय की 2 दिन की छुट्टी। जब से बिहार शिक्षा विभाग का पदभार केके पाठक ने संभाला है। तब से रोज नए-नए फरमान जारी किए जा रहे है।

BJP ने कहा था- धर्म विशेष को खुश करने की कोशिश

  • केंद्रीय अश्विनी चौबे ने ट्वीट कर लिखा कि चाचा भतीजे की घमंडिया गठबंधन की सरकार ने बिहार में हिंदू तीज त्योहारों की छुट्टियों को रद्द कर ओछी मानसिकता का परिचय दिया है। एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए चाचा भतीजे की सरकार ने इस तरह का कदम उठाया है।
  • सुशील मोदी ने कहा कि ये बिहार सरकार की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। रक्षाबंधन, तीज की छुट्‌टी को खत्म करके क्या संदेश देना चाहते हैं। छठ की छुट्‌टी को 2 दिन में समेट दिया। ये बहुत आपत्तिजनक है। इससे हिंदू समाज की आस्था को ठेस पहुंची। इस आदेश को तुरंत वापस लेना चाहिए।
  • आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने छुटि्टयां रद्द करने के पीछे दिए शिक्षा विभाग के तर्क को दोहराया है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में छुटि्टयां बहुत हो जाती हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। पढ़ाई अच्छे से हो। सिलेबस में कोई दिक्कत ना हो। इसे देखते हुए ये फैसला लिया गया है।
  • बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि बीजेपी नेताओं को शिक्षा और डेवलपमेंट से कोई मतलब नहीं है। छुटि्टयां हिंदू धर्म में ज्यादा हैं। कम करेंगे तो वहीं छुटि्टयां कम होंगी। बीजेपी का काम हिंदू -मुस्लिम के नाम पर राजनीति करना है। राम-राम करते हैं इन्हें राम से कोई मतलब नहीं है।

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बिहार सरकार ने स्कूलों की छुट्टियां में कटौती कर दी है। रक्षा बंधन, हरितालिका तीज, जिउतिया, विश्वकर्मा पूजा, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गुरु नानक जयंती जैसे त्योहारों पर छुट्टी नहीं मिलेगी। यह आदेश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने मंगलवार देर रात जारी किया।

भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने कहा, ‘बिहार सरकार ने दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ पूजा की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। कल संभव है कि बिहार में शरिया लागू कर दी जाए और हिंदू त्योहार मनाने पर रोक लग जाए। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए

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