ये फ्रांज काफ्का हैं, प्रसिद्धि में चे के मुकाबिल हैं
बीसवीं सदी के मशहूर लेखक फ्रांज 1883 में आज के दिन ही पैदा हुए।
उन्होंने कहा था-धार्मिक विश्वास को न छेड़ो।
इस पुरानी त्वचा के छिन जाने से आदमी उस शरीर के समान हो जाता है जिसे हर स्पर्श से भयावह पीड़ा होती है।
ऐसे व्यक्ति सूझ-बूझ खो बैठते हैं।
आज भी आदमी को पागल करने के लिए राजनीतिक दल इस खाल को उतारते रहते हैं।
खैर, फ्रांज का लेखन अजब था। उनकी रचनाएं आधुनिक समाज का बेजोड़ चित्रण हैं।
दुनिया भर के साहित्यकार उनसे प्रेरणा पाते हैं।
लोग उनके इस कदर दीवाने हो गए कि उनके नाम पर एक शब्द अंग्रेजी डिक्शनरी का हिस्सा बन गया। यह शब्द है ‘काफ्काएस्क’।
इसका अर्थ है मुश्किलों से घिर जाना।
उन्होंने लिखा- हमें ऐसी किताबें पढ़नी चाहिए, जो कुल्हाड़ी की तरह हमारे अंदर जमे बर्फ के समंदर को चीरती चली जाए, हमें चोट पहुंचाए, हमें भीतर तक घायल कर दे।
हम ऐसी किताबें पढ़े, जिसे पढ़ने के बाद हम बिल्कुल वैसे न रहें जैसे हम किताब पढ़ने से पहले थे।
काफ्का नौकरशाही से बेहद नफरत करते थे, वह समाज में बराबरी के हिमायती थे।
जर्मनी के प्राग बोहेमिया में जन्मे काफ्का को अपने पिता का व्यवहार भी पसंद नहीं था। उनके पिता यहूदी बस्ती में एक बड़ी दुकान चलाते थे। काफ्का ने लिखा उनके पिता एक मतलबी किस्म के दबंग और पेशेवर कारोबारी थे।
काफ्का प्राग में वैसे ही मशहूर हैं जैसे क्यूबा में चे-ग्वेरा।
उनके नाम के प्रतीक चिन्ह, टी शर्ट, पोस्टर, बीयर मग आज भी हर पर्यटन स्थल पर मिल जाएंगे।
दुनिया भर के साहित्यकार प्राग को काफ्का के शहर के नाम से पहचानते हैं।
चे-ग्वेरा दुनिया को शोषण से मुक्त करने के संघर्ष के लिए जाने जाते हैं और काफ्का समाज का जीवंत चित्रण कर बुराइयों के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देते हैं।
काफ्का 41 साल की उम्र में तपेदिक से लड़ते हुए एक अंधेरे कमरे में मर गए।
उन्होंने मरने से पहले अपने करीबी दोस्त और प्रेमिका से वादा करवाया कि उनका लिखा साहित्य जला दिया जाए, लेकिन दोस्त यह हिम्मत नहीं जुटा पाए।
जब उनका लिखा साहित्य छपा तो पूरी दुनिया में तहलका मच गया।
उनके बारे में लिखने को और भी बहुत कुछ है।
चे-ग्वेरा 14 जून 1928 को पैदा हुए और 9 अक्टूबर 1967 को मर गए। क्यूबा की क्रांति में उनकी मुख्य भूमिका रही।
वह डाक्टर, लेखक और समाज के पसंदीदा नेता थे। उन्होंने धरती पर मनुष्य को बराबरी का जीवन देने के लिए संघर्ष किया।
वह एक बाइक से कई देशों में क्रांतियां करने चले गए। बोलिविया में उन्हें पकड़ लिया गया। वह श्वांस रोग से ग्रस्त थे। उनकी टोपी पर स्टार लगी फोटो को विश्व की सबसे प्रसिद्ध तस्वीर माना गया है।
दुनिया में मशहूर वही हुआ जो सरकारों से लड़ गया
Chandrashekhar J