मंदी को ध्यान में रखते हुए RBI का बड़ा फैसला, इस वित्त वर्ष में 6 बार जनता को मिलेगा महंगाई का रसगुल्ला

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RBI takes big design for 6 times mpc meeting in 2023-24 financial year- India TV Paisa
Photo:FILE मंदी को ध्यान में रखते हुए RBI का बड़ा फैसला

RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये अगले वित्त वर्ष यानि 2023-24 में छह बैठकें होंगी। केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि ब्याज दर तय करने वाली समिति की अगले वित्त वर्ष की पहली बैठक तीन से छह अप्रैल को होगी। मौजूदा घरेलू और आर्थिक स्थितियों पर एमपीसी के विचार-विमर्श के बाद आरबीआई गवर्नर द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हैं। बैठक तीन दिन की होती है। बता दें कि नियमानुसार 4 बार एमपीसी की बैठक करना अनिवार्य होता है। हालांकि समिति के पास बैठक को आवश्यक्तानुसार बढ़ाने-घटाने की अनुमति होती है। जब-जब बैठक होती है, रेपो रेट में बदलाव होता है। रेपो रेट में बदलाव के साथ ही बैंक से मिलने वाले लोन पर असर पड़ता है। वह रेपो रेट कम-अधिक होने के साथ ब्याज दर में बदलाव कर देते हैं। 

ये है इस वित्त वर्ष में होने वाली बैठक का शेड्यूल

आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी समय सारिणी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक नीति बैठक तीन, पांच और छह अप्रैल को होगी। उसके बाद दूसरी बैठक छह, सात और आठ जून को होगी। तीसरी बैठक आठ से 10 अगस्त, चौथी बैठक चार से छह अक्टूबर और पांचवीं छह से आठ दिसंबर को होगी। एमपीसी की छठी द्विमासिक बैठक छह से 8 फरवरी, 2024 को होगी।

इस समिति को लेकर क्या कहता है संविधान?

भारतीय रिजर्व बैंक के अधिनियम 1934 (जिसे 2016 में संशोधित किया गया था) में कहा गया है कि आरबीआई को विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आसान भाषा में कहा जाए तो देश में बढ़ती महंगाई और अचानक से मार्केट में कम होती समान की मांग के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए समय-समय पर बैठक करनी होती है। धारा 45ZA के तहत केंद्र सरकार के साथ आरबीआई परामर्श कर हर पांच साल में एक बार महंगाई का लक्ष्य निर्धारित करती है और उसे सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करती है। पिछली बार यह निर्धारण 31 मार्च 2021 को किया गया था, जिसमें 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक के लिए देश में महंगाई की दर अधिकतम 6 फीसदी और न्यूनतम 2 फीसदी तय किया गया था। यानि सीपीआई(उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) का लक्ष्य 4 फीसदी है। बता दें, इस समिति में 6 सदस्यीय टीम होती है।

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